पहली बार 1832 ई. में येति के अस्तित्व का पता चला
होजसन ने एशियाटिक सोसाइटी के जर्नल में इस घटना का उल्लेख किया है। होजसन ने ही पहली पर इस विचित्र प्राणी को येति नाम दिया था। येति को अमेरिका में बिग फुट यानी बड़े पैरों वाला कहा जाता है। क्योंकि अब तक येति के जो भी साक्ष्य मिले हैं उसमें येति के बड़े-बड़े पांव होने की बात कही गयी है।
रॉयल ज्योग्रॉफिकल सोसाइटी के फोटोग्राफर एम.ए. टॉमजी ने सन् 1925 में जेमू ग्लेशियर के पास एक विचित्र प्राणी को देखने का दावा किया। इसके शरीर की बनावट इंसानों जैसी थी। इसके शरीर पर बहुत अधिक बाल थे। यह इंसानों की तरह चल रहा था। कुछ ही देर में वह बर्फ के बीच कहीं खो गया। जहां पर वह विचित्र प्राणी मौजूद था वहां जाने पर टॉमजी ने ऐसे पदचिह्न देखे जो सात इंच लंबे व चार इंच चौड़े थे।
1938 में येती के विषय में सुनने को मिली एक रोचक घटना
येती के विषय में एक रोचक घटना 1938 में सुनने को मिली। कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल की देखरेख करने वाले कैप्टन ने बताया कि हिमालय की यात्रा के दौरान जब वो बर्फीली ढलान पर फिसल कर घायल हो गये तब प्रागैतिहासिक मानव जैसे दिखने वाले एक 9 फीट लंबे प्राणी ने उसे उठाया और अपनी गुफा में ले गया। इस प्राणी ने उसकी खूब सेवा की।
येति से जुड़ी एक बड़ी रोचक घटना है एवरेस्ट गांव की। एक शेरपा लड़की अपने याक चरा रही थी। उसने बंदर जैसे एक विशाल प्राणी को देखा। लड़की विशाल प्राणी को देखकर डर गयी। इस प्राणी ने लड़की का हाथ पकड़ा और खींच कर ले जाने लगा। लड़की के जोर-जोर से चिल्लाने पर उस प्राणी ने लड़की को छोड़ दिया और उसके याक को मार कर उसका मांस खाता हुआ चला गया। यह घटना 1974 की है।
पुलिस को भी मिले थे हिम मानव के पैरों के निशान
इस घटना की पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करायी गयी। पुलिस को लड़की द्वारा बताये स्थान से विचित्र प्राणी के पदचिन्ह मिले। हाल-फिलहाल में 2008 में मेघालय के गारो हिल्स के आस-पास रहने वाले लोगों ने एक ऐसे प्राणी को देखने का दावा किया है जिसकी लंबाई 10 फीट थी। इसका वजन करीब 300 किलोग्राम रहा होगा। पर्वतारोही सर एडमंड हिलरी और तेनज़िंग नोर्गे ने भी 1953 में एवरेस्ट चढ़ाई के दौरान बड़े-बड़े पदचिह्न देखने की बात कही थी।
अक्तूबर 2011 में रूस के केमेरोवा में अंतरराष्ट्रीय येति कॉन्फ्रेंस हुई थी। कॉन्फ्रेंस में वैज्ञानिकों ने साइबेरिया में येति के होने के एक नहीं कई सबूत पेश किए। जिसमें एक सबूत के तौर पर येति के बालों का गुच्छा पेश किया गया।
वैज्ञानिकों का तर्क था कि यह येति के बालों का गुच्छा है। ‘ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय’ और ‘द लुसाने म्यूजियम ऑफ जूलॉजी’ ने मिलकर नए आनुवांशिक तकनीकों के जरिए उन जैविक अवशेषों की जांच करने की योजना बनाई जिनके बारे में कुछ लोगों का दावा है कि ये अवशेष हिममानव के हैं।