उत्तराखंड में सरकारी, सार्वजनिक और निजी परिसंपत्तियों पर अवैध तरीके से कब्जा करने वालों के खिलाफ सरकार ने सख्त कदम उठाया है। इसे संज्ञेय अपराध घोषित करते हुए अधिकतम 10 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है। कैबिनेट ने इसके लिए अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। सरकारी महकमों की सेवाओं पर अब हर साल एक अप्रैल से यूजर चार्ज पांच प्रतिशत बढ़ जाएगा।
शुक्रवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री पुष्कर धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में उत्तराखंड भूमि पर अतिक्रमण (निषेध) अध्यादेश 2023 समेत 33 प्रस्तावों को मंजूरी दे दी गई। प्रेस वार्ता में सचिव गोपन शैलेश बगोली ने बताया कि जमीनों और परिसंपत्तियों पर अतिक्रमण पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए यह फैसला लिया गया है।
जमीनों पर कब्जा करने वालों को अब न्यूनतम सात और अधिकतम 10 साल की सजा अथवा कब्जाई गई जमीन के बाजारी मूल्य के बराबर जुर्माना लगाया जाएगा। कोई व्यक्ति अगर जमीन कब्जाने के लिए किसी को उकसाता भी है तो वह भी इस जद में आएगा।
स्पेशल कोर्ट होगी गठित: अवैध कब्जों के मामलों में त्वरित सुनवाई के लिए सरकार स्पेशल कोर्ट गठित करेगी। ऐसे मुकदमे लंबे समय तक लंबित न रहें, इसके लिए जिला सत्र न्यायालय में किसी एक कोर्ट को भी नामित किया जाएगा। राजस्व विभाग इसके लिए नियमावली बनाने जा रहा है।
डीएम की अध्यक्षता में कमेटी बनेंगी: अवैध कब्जे करने वालों पर कार्रवाई के लिए जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में कमेटी बनाई जाएगी। यह कमेटी ऐसे व्यक्तियों को चिन्हित कर उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन को सिफारिश करेगी। इसके बाद ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ अध्यादेश के तहत कार्रवाई की जाएगी।
सरकारी सेवाएं अब हर साल महंगी होंगी
सरकारी महकमों की सेवाओं पर अब हर साल एक अप्रैल से यूजर चार्ज पांच प्रतिशत बढ़ जाएगा। कैबिनेट ने वित्त विभाग के यूजर चार्ज बढोतरी के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इनमें अस्पतालों का ओपीडी पर्चा, विभिन्न प्रमाण पत्र, आरटीओ में लाइसेंस व पंजीकरण शुल्क, नगर निगम के जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र आदि शामिल हैं।