राजस्थान के पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह जसोल को खुले मंच से याद कर सभी को चौंका दिया है। वसुंधरा राजे ने जोधपुर में अमित शाह की मौजूदगी में पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत और जसवंत सिंह को याद किया। वसुंधरा ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। उल्लेखनीय है कि राजस्थान की राजनीति में जसवंत सिंह और वसुंधरा राजे के बीच छत्तीस का आंकड़ा रहा है। ऐसे में जसवंत सिंह के योगदान को याद करने के कई मायने निकाले जा रहे हैं। वजह बताई जा रही है कि मारवाड़ अंचल में जसवंत सिंह के बहुत चाहने वाले हैं। ऐसे में वसुंधरा राजे ने सधी हुई रणनीति के तहत जसवंत सिंह को याद किया है कि ताकि विधानसभा चुनाव में पार्टी को सियासी फायदा मिल सके।

वसुंधरा- जसवंत सिंह की रही पुरानी अदावत
राजस्थान की राजनीति में वसुंधरा राजे और जसवंत सिंह की पुरानी अदावत रही है। वसुंधरा को प्रदेश में पहली बार मुख्यमंत्री बनवाने में जहां जसवंत का अहम रोल रहा था। खुद जसवंत सिंह कई बार सार्वजनित मंचों पर कह चुके हैं। लेकिन वसुंधरा राजे ने जसवंत की बीजेपी से अपमानजनक विदाई में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। ऐसे में यकायक वसुंधरा राजे के जसवंत सिंह के योगदान को याद करने के कई मायने निकाले जा रहे हैं। मारवाड़ के लोग आज भी 2014 को भूल नहीं पाए। कैसे उनको हराने के लिए कांग्रेस नेता कर्नल सोनाराम चौधरी को नामांकन दाखिल करने के कुछ दिन पहले बी बीजेपी जॉइन कराई और आलाकमान से जिद कर उन्हें टिकट दिला ही दिया। जसंवत सिंह ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामाकंन दाखिल किया। लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में करीब 50 हजार वोटों से चुनाव हार गए। जसवंत खाली हाथ रह गए। उन्होंने इस पीठ में छुरा भोंकने के समान बताया। देश के सबसे चर्चित चुनाव में से एक इस संसदीय क्षेत्र से जसवंत को हार का सामना करना पड़ा। इसके कुछ माह पश्चात गिर गए और कौमा में चले गए।
जसवंत सिंह के बेटे को नहीं दी तवज्जो
पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने बीजेपी से विधायक होने के बावजूद वसुंधरा राजे ने जसवंत के बेटे मानवेन्द्र को कभी तव्वजो नहीं दी। उन्हें मंत्री पद नहीं दिया। पार्टी में हाशिये पर चल रहे मानवेन्द्र ने गत विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस का हाथ थाम लिया। इसके बाद वे वसुंधरा राजे के गढ़ माने जाने वाले झालरापाटन ने उनके खिलाफ चुनाव मैदान में जा डटे। हालांकि मानवेंद्र सिंह चुनाव हार गए। राजनीति में दोस्ती और दुश्मनी क्या और कैसी होती है, इसे राजस्थान की राजनीति में पूर्व केन्द्रीय मंत्री जसवंत सिंह जसोल और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बीच के रिश्तों से आसानी से समझा जा सकता है। ऐसे में वसुंधरा की इस नई पहल को लोग टकटकी लगा देख रहे हैं कि आने वाले दिनों में इसके क्या नतीजे निकलेंगे। लेकिन मारवाड़ के लोग जसवंत सिंह के अपमान को भूल नहीं पाए है। सीएम अशोक गहलोत ने जसवंत सिंह के बेटे के राजनीतिक नियुक्तियों का तोहफा दिया है। मानवेंद्र सिंह जसोल को राज्यस्तरीय सैनिक कल्याण सलाहकार समिति का अध्यक्ष बनाया।
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