उत्तराखंड की पांचवीं विधानसभा चुनने के लिए 14 फरवरी को मतदान हो चुका है। अब सबको प्रतीक्षा है 10 मार्च की, जब मतगणना के बाद राज्य का राजनीतिक परिदृश्य स्पष्ट होगा कि नई सरकार कौन बना रहा है। चुनाव परिणाम को लेकर सभी दलों के अपने-अपने दावे हैं, लेकिन कांग्रेस के चुनाव अभियान का नेतृत्व करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत आश्वस्त हैं कि हर बार सत्ता में बदलाव का मिथक नहीं टूटेगा और सरकार कांग्रेस की ही बनेगी। रावत का कहना है कि कांग्रेस के सत्ता में आने पर भी उत्तराखंड में विकास कार्यों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि हम केंद्र से बहुत अच्छे रिश्ते बनाने की कोशिश करेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जो बार-बार केदारनाथ व उत्तराखंड के लिए अपनी आत्मीयता प्रकट की है, हम उस पर विश्वास करना चाहेंगे। प्रधानमंत्री के उत्तराखंडी टोपी पहनने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि उत्तराखंड श्रेय देना चाहे या न चाहे, लेकिन हकीकत यह है कि हमने प्रधानमंत्री को उत्तराखंडियत की पिच पर आने को विवश कर दिया।
संसाधन जुटाने को सर्वोच्च प्राथमिकता
अपने चुनाव क्षेत्र लालकुआं से लौटकर देहरादून पहुंचे हरीश रावत ने ‘दैनिक जागरण’ से बातचीत में कहा कि कांग्रेस ने काफी सोच समझकर रणनीति के तहत ही चुनाव में मतदाताओं से वादे किए। कमजोर आर्थिकी वाले राज्य में घोषणाओं को पूरा करने के लिए संसाधन जुटाने संबंधी सवाल पर रावत ने कहा कि कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में स्पष्ट उल्लेख किया है कि संसाधन जुटाने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी। 2014 में आज से अधिक ध्वस्त अर्थव्यवस्था थी। आज जो स्थिति है, उसमें सुधार लाया जा सकता है, उस वक्त सुधार के लिए प्रतीक्षा करना जरूरी था। हम इसके बावजूद अर्थव्यवस्था के सभी मानकों को अच्छी स्थिति में ले आए थे, जब 2017 में भाजपा को सत्ता सौंपी। उसी विश्वास के आधार पर कहा कि हम आज भी ऐसा कर सकते हैं। संसाधन जुटाने, जनता से किए गए वादों को पूरा करने और रोजगार सृजन, तीनों काम साथ-साथ शुरू करेंगे।
मध्यम वर्ग के साथ भी बांटेंगे समृद्धि
मुफ्त बिजली, 500 रुपये में सिलिंडर जैसी घोषणाएं पूर्ण करने का खर्च मध्यम वर्ग की जेब पर पडऩे संबंधी सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कि राज्य में ज्यादातर मध्यम व निम्न मध्यम वर्ग के लोग हैं, उसके साथ भी समृद्धि बांटेंगे। उनकी समृद्धि के लिए अवसर पैदा करना भी हमारी प्राथमिकता में होगा। निवेश के लिए नई संभावनाएं तलाशेंगे। उदाहरण के लिए उत्तराखंड में कोटा की तर्ज पर कोचिंग डेस्टिनेशन बनाया जाएगा, इसके लिए काशीपुर उपयुक्त है। खुरपिया व अन्य फार्म में जहां जमीनें हैं, उसका आधा हिस्सा राज्य के मध्यम वर्ग के उद्योगों के लिए सुरक्षित करेंगे। इसके लिए उद्योग नीति में बदलाव करेंगे। पिछली बार हम इसी सोच के तहत माइक्रो हाइडिल पालिसी और सोलर इनर्जी पालिसी लाए, जो मध्यम वर्ग को लक्ष्य कर बनाई गई थीं।
काम आएगा संघीय व्यवस्था का अनुभव
उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार बनने की स्थिति में केंद्र से रिश्तों पर रावत ने कहा कि वह संघीय व्यवस्था में काम कर चुके हैं, दिल्ली में और उत्तराखंड में भी। अगर राज्य सरकार बुद्धिमत्तापूवर्क योजना बनाए, तो केंद्र से प्राप्त धनराशि के प्रवाह को निरंतर बनाए रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री रहते हुए वह रिकार्ड संख्या में राज्य के लिए पीएमजीएसवाई सड़कें लाए थे। 2018 के बाद के लिए भी योजना तैयार कर रखी थी, जिसका लाभ इस समय भाजपा को मिला है। बकौल रावत, ‘यह राज्य सरकार के हुनर पर निर्भर करता है क्योंकि केंद्र सरकार में जो पालिसी फ्रेमवर्क है, उसके मुताबिक सरकार लगभग न्यूट्रल होती है। केवल प्रधानमंत्री व वित्त मंत्री की कुछ भूमिका होती है, लेकिन उनके फेवर के बिना भी काम चलाया जा सकता है, मैं इस विषय में आश्वस्त हूं।’