जम्मू: जम्मू-कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री मुजफ्फर हुसैन बेग ने बीते गुरुवार को एक सर्वदलीय बैठक की। इस बैठक के दौरान उन्होंने कहा कि, ”अनुच्छेद 371 में संशोधन कर जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को कुछ विशेष अधिकार दिए जा सकते हैं। संविधान में अनुच्छेद 371 पूर्वोत्तर राज्यों जैसे नागालैंड, मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश सहित कई राज्यों को विशेष प्रावधान प्रदान करता है।” आप सभी को बता दें कि पूर्व डिप्टी सीएम मुजफ्फर हुसैन बेग पहले पीडीपी के साथ थे। ऐसे में हाल ही में उन्होंने सुझाव दिया कि, ”अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की चुनौती और नेशनल कॉन्फ्रेंस सहित कुछ पार्टियों द्वारा स्वीकार किए जाने की पृष्ठभूमि में आता है। इस सरकार से यह उम्मीद करना बेवकूफी होगी कि अनुच्छेद 370 को जम्मू-कश्मीर में बहाल किया जाएगा।”
जी दरअसल संविधान के अनुच्छेद 370 ने भारत संघ के साथ जम्मू-कश्मीर के संबंधों के लिए एक तंत्र प्रदान किया था। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट फिलहाल जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 और संसद द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। आप सभी को बता दें कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली बैठक में शामिल होने के दो दिन बाद मुजफ्फर बेग एक बयान जारी किया। इसमें उन्होंने बताया कि, ”जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासियों को (अनुच्छेद) 35 ए के तहत अधिवास अधिकार दिए गए थे। अनुच्छेद 35A अनुच्छेद 370 से निकला है, जिसे 1954 में एक राष्ट्रपति के आदेश के बाद लगाया गया था। यह जम्मू-कश्मीर विधायिका को राज्य के स्थायी निवासियों और उनके विशेष अधिकारों और विशेषाधिकारों को परिभाषित करने का अधिकार देता है।”
इसी के साथ उन्होंने कहा, ‘गतिरोध के इस दोराहे में बीच का रास्ता भी तलाश लिया गया है। यह फॉर्मूला आर्टिकल-370 की वापसी के बजाय जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों में आर्टिकल-371 के विशेष प्रावधान लागू करने का हो सकता है। आर्टिकल-371 हिमाचल, गुजरात, उत्तराखंड समेत देश के 11 राज्यों में लागू है। राज्य के विषयों के अनन्य अधिकारों” के संबंध में अनुच्छेद 371 में एक अतिरिक्त खंड जोड़कर “अनुच्छेद 35 ए के सार” का ध्यान रखा जा सकता है।’