दिल्ली के तमाम नाकों पर कृषि कानूनों के खिलाफ किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों को धरना देते हुए 19 दिन हो चुके हैं और केंद्र सरकार से छह दौर की हुई बातचीत का अभी तक कोई नतीजा नहीं निकल पाया है. सरकार कानूनों को किसानों के हित में बता रही है, जबकि किसान संगठन इसे वापस लिए जाने की मांग पर डटे हैं.
इस बीच, मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने प्रदर्शनकारी किसान संगठनों को ‘कुकुरमुत्ता’ करार दिया है. कमल पटेल ने कहा, ‘ये किसान संगठन ‘कुकुरमु्त्तों’ की तरह उग आए हैं. ये किसान नहीं हैं, बल्कि व्हीलर डीलर (राजनीतिक और वाणिज्यिक गतिविधियों में संलग्न रहने वाले) और एंटी नेशनल हैं.’
असल में मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल बीजेपी के किसानों से संवाद कार्यक्रम के तहत उज्जैन में एक प्रेस कांफ्रेंस कर रहे थे. उसी दौरान उन्होंने यह बातें कहीं. बीजेपी ने नए कृषि कानूनों के बारे में किसानों को बताने के लिए पूरे देशभर में कैम्पेन चलाया है, जिसमें पार्टी के नेता ये बता रहे हैं कि किस तरह ये कानून उनके हित में हैं.
इस बीच, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि वह किसानों से क्लॉज बाई क्लॉज चर्चा करने को तैयार हैं. उन्होंने कहा, ‘हमने किसानों को अपना लिखित प्रस्ताव भेजा है और हम अगले दौर की बात के लिए उनकी प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं. ये तीनों विधेयक किसानों के कल्याण के लिए हैं.’
असल में, बहरहाल, कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है. कानूनों में संशोधन के सरकार के प्रस्ताव को खारिज करने के बाद किसान संगठन सोमवार को अनशन पर रहे. दिल्ली-जयपुर हाइवे पर भी बड़े पैमाने पर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. केंद्र सरकार कह रही है कि वार्ता के रास्ता खुला हुआ है, लेकिन किसानों की मांग है कि बातचीत तभी मुमकिन है जब कृषि कानूनों को रद्द किया जाये.
कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के धरना के कारण आम लोगों को परेशानी भी हो रही है. इसी परेशानी को देखते हुए संयुक्त किसान मोर्चा ने माफीनामा जारी किया है. किसान मोर्चा ने आम लोगों को हो रही दिक्कतों के लिए खेद जताया है. साथ ही भरोसा भी दिया है कि अगर किसी मरीज या जरूरतमंद को कोई परेशानी होगी उनसे फौरन संपर्क करें.
किसानों ने लिखा कि हम किसान हैं, लोग हमें अन्नदाता कहते हैं. प्रधानमंत्री कहते हैं वह हमारे लिए 3 कानून की सौगात लेकर आए हैं, हम कहते हैं ये सौगात नहीं सजा है. हमें सौगात देनी है तो फसल का उचित मूल्य देने की कानूनी गारंटी दें. आगे लिखा कि सड़क बंद करना, जनता को तकलीफ देना हमारा कोई मकसद नहीं है, हम तो मजबूरी में यहां बैठे हैं. फिर भी हमारे इस आंदोलन से आपको जो तकलीफ हो रही है उसके लिए आपसे हाथ जोड़कर माफी मांगते हैं.