यूपी: छांगुर बाबा के संरक्षक पांच अफसर और कर्मचारियों के भी नाम उजागर

अवैध धर्मांतरण के आरोपी जमालुद्दीन उर्फ छांगुर को संरक्षण देने वालों की फेहरिस्त अब एटीएस के हाथ में भी है। जांच में बलरामपुर जिले में तैनात रहे पांच अधिकारियों और कर्मचारियों की संदिग्ध भूमिका सामने आई है। इनमें दो दूसरी जगह जा चुके हैं, जबकि दो अभी सेवा में हैं। एक कर्मचारी को एटीएस गिरफ्तार कर चुकी है। तत्कालीन जिलाधिकारी अरविंद सिंह की ओर से शासन को भेजी गई रिपोर्ट में भी स्थानीय पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं।

सूत्रों के अनुसार, एटीएस ने इन पांच अधिकारियों एवं कर्मचारियों के कार्यकाल में दर्ज मुकदमों, भूमि विवादों से जुड़े दस्तावेज और छांगुर के नेटवर्क से जुड़े लोगों को मिली शासकीय सुविधाओं की पड़ताल शुरू कर दी है।

कई फाइलें बलरामपुर से लखनऊ मंगाई गई हैं। एटीएस को जांच में पता चला है कि छांगुर को लगातार कानूनी राहत दिलाने में इन अधिकारियों की भूमिका अहम रही। दो अधिकारियों की संपत्तियों की भी समीक्षा हो रही है, जो उनकी आय से अधिक बताई जा रही हैं। इनमें एक पुलिस अधिकारी भी शामिल हैं।

डीएम की रिपोर्ट से खुली गठजोड़ की पोल
वर्ष 2024 में बलरामपुर के तत्कालीन जिलाधिकारी अरविंद सिंह ने उतरौला, गैड़ास बुजुर्ग और सादुल्लानगर थानों की भूमिका पर आपत्ति जताते हुए शासन को रिपोर्ट भेजी थी। उन्होंने स्पष्ट किया था कि धर्मांतरण या संदिग्ध गतिविधियों जैसे गंभीर मामलों में इन थानों ने प्रभावशाली तरीके से कार्रवाई नहीं की।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि कई मामलों को जानबूझकर ठंडे बस्ते में डाला गया। शिकायतों को समय से दर्ज नहीं किया गया और आरोपियों के साथियों को बचाने की कोशिशें हुईं। अब जब एटीएस की जांच में भी इन थानों से जुड़े पुलिस अधिकारियों की भूमिका संदेह के घेरे में है, तो डीएम की रिपोर्ट को और अधिक वजन मिलने लगा है।

जल्द होगी पूछताछ, गृह विभाग को भेजी जाएगी रिपोर्ट
एटीएस अब इन चार अधिकारियों से पूछताछ की तैयारी कर रही है। बयान लेने के बाद रिपोर्ट गृह विभाग को भेजी जाएगी। सूत्रों के अनुसार अगर दोष सिद्ध होता है, तो सेवा में मौजूद दो अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की जा सकती है।

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