मुम्बई. टाटा ग्रुप की चल रही विवादित लड़ाई पर विराम लग चूका है, मंगलवार से टाटा ग्रुप के लिए एक नया युग शुरू होने वाला है. नटराजन चंद्रशेखरन कल टाटा ग्रुप की चेयरमैन पोस्ट संभालेंगे.न्यूज एजेंसी के अनुसार, चंद्रशेखरन का लोकप्रिय नाम ‘चंद्रा’ है, बता दे की 54 वर्षीय चंद्रा टाटा ग्रुप की 149 वर्ष के इतिहास में पहले गैर-पारसी चेयरमैन होंगे. चंद्रा को भारत के सबसे बड़े सॉफ्टवेयर एक्सपोर्टर टीसीएस को इस कामयाबी तक पहुंचाने का श्रेय भी हासिल है.
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पिछले सप्ताह ही चंद्रशेखरन ने अपने नए असाइनमेंट को ‘ए वेरी बिग जॉब’ बताया था साथ ही इसे एक बड़ा कैनवास कहा था, जहां चुनौतियां और अवसर दोनों ही समान रूप से शामिल है. चंद्रा ने बताया की मुझे उम्मीद है कि मैं कुछ अलग कर सकूंगा और एक प्रभाव छोड़ने में सफल रहूंगा. बता दे की मंगलवार को जब चंद्रा 103 अरब डॉलर के टाटा ग्रुप की कमान की डोर अपने हाथ में लगे तब उन्हें महत्वपुर्ण मुद्दों से उनका तुरंत सामना होगा. इन मुद्दों में सबसे पहले ब्रेक्सिट के चलते कितना एसेट्स ब्लॉक किया जाए और कितने से कदम खींच लिए जाएं, शामिल होगा.
चंद्रशेखरन के चुने जाने का कारण है की वह देश के सबसे सफल ऑपरेटिंग सीईओ है, वें रतन टाटा के भरोसेमंद लोगों में शामिल है. टाटा ग्रुप से 30 वर्ष से जुड़े है और इसी कारण टाटा ग्रुप को अच्छे से जानते है. जताई गई उम्मीदों के अनुसार चंद्रशेखरन आईटी बैकग्राउंड होने के कारण टाटा ग्रुप का डिजिटल मेकओवर कर सकते हैं, हर वर्ष कंपनी की कमाई बढ़ाने में मदद कर सकते है.