आपने अपने बड़े-बुजुर्गों से जरूर यह कहते हुए सुना होगा जैसा होवे अन्न वैसा होवे मन, यानि कि जैसा हम भोजन करते हैं हमारे आचार-विचार भी उसी दिशा में परिवर्तित होते हैं।
इसलिए हमारे धर्म-ग्रंथों में भोजन संबंधी कुछ स्थानों का उल्लेख किया गया है, जहां पर खाना मना है। इसके अनुसार वर्जित स्थानों पर भोजन करने से चरित्र और मस्तिष्क दोनों दूषित हो जाता है और इन वर्जित स्थानों में किन्नरों का घर भी शामिल है।
जी हां, वैसे तो धर्म-ग्रंथों में ही किन्नरों की दुआओं को सबसे असरदार बताया गया है और उन्हें दान करना भी बेहद शुभ माना जाता है। मगर कहा जाता है कि किन्नरों के घर अच्छे और बुरे दोनों प्रवृत्ति के लोगों का दान आता है और इसीलिए उनके घर का भोजन करना वर्जित माना गया है। दरअसल, यह पता लगाना मुश्किल होता है कि जिस भोजन को ग्रहण किया जा रहा है, वह अच्छे व्यक्ति का है या बुरे।
इसी तरह आइए आपको बताते हैं कि गरुण पुराण के अनुसार कैसे लोगों के हाथ और घर का भोजन करना वर्जित है-
– कहा गया है कि किसी असाध्य रोग से पीड़ित व्यक्ति के घर का भोजन करने से आप भी उस रोग से पीड़ित हो सकते हैं।
– ब्याज पर पैसे का लेन-देन किसी दरिद्र की मजबूरी का फायदा उठाना माना गया है। इसलिए ऐसे व्यक्ति के घर का भोजन ग्रहण करने से आपके हिस्से भी उसके पाप का दोष आ सकता है।
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– इसी तरह ऐसी स्त्री है जो अपनी इच्छा से अनैतिक कृत्यों में लिप्त है, उसके हाथ का बना भोजन करने वाला व्यक्ति भी उसके द्वारा किए जा रहे पापों को अपने सिर ले लेता है।
– वहीं अगर आप किसी क्रोधी व्यक्ति के घर भोजन करते हैं तो आपका मन-मस्तिष्क भी क्रोध और आवेश की भावनाओं से दूषित हो जाता है। इसलिए ऐसे व्यक्ति के घर का भोजन भी वर्जित है।
– दूसरों को कष्ट देने वाले, अनैतिक कार्य करने वालेे, अपने लोगों पर अत्याचार करने वाले, स्वभाव से चुगलखोर व्यक्ति और नशीली चीजों के व्यापारी के घर का भोजन करना पूर्णत: निषेध माना गया है।