दुनियाभर में करोड़ों लोगों के पास आज भी पीने का साफ पानी उपलब्ध नहीं है। इस कारण उन्हें कई तरह की बीमारियां घेर लेती हैं। विकासशील और पिछड़े देश इससे सबसे अधिक प्रभावित हैं। ऐसे में पानी को साफ करने के लिए बेहद आसान और कम लागत वाली तकनीक की जरूरत है।
-बीज से निकाले गए प्रोटीन और बालू से बनाया गया फिल्टर
शोधकर्ताओं का कहना है कि भारतीय उपमहाद्वीप में आसानी से मिलने वाले सहजन का इस्तेमाल कर पानी को काफी हद तक शुद्ध किया जा सकता है।
ड्रमस्टिक के नाम से पहचाने जाने वाले सहजन की फलियों का इस्तेमाल भोजन के साथ ही तेल और कई औषधियां बनाने में भी किया जाता है। लंबे समय से इसके बीज का पाउडर पानी साफ करने में इस्तेमाल होता रहा है, लेकिन, पाउडर को सीधे पानी में घोलने से बीज से निकले अघुलनशील जैविक कार्बन का अवशेष बच जाता है। नतीजन, पानी में 24 घंटे बाद ही फिर से बैक्टीरिया पनपने लगते हैं और पानी अधिक देर तक पीने लायक नहीं रह पाता।
ज्यादा समय तक पानी साफ रहे इसके लिए अमेरिका की कार्निज मेलोन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने ‘एफ-स्टैंड’ नामक नई तकनीक ईजाद की है। इसमें सहजन के बीज के साथ बालू का इस्तेमाल किया गया है। एफ-स्टैंड फिल्टर बनाने के लिए बीज से निकाले गए प्रोटीन को बालू के प्रमुख घटक सिलिका के कणों की सतह पर चिपका दिया जाता है। यह फिल्टर पानी में मौजूद बैक्टीरिया को मारने के साथ ही सभी तरह की अशुद्धियों व अघुलनशील कार्बन को भी पानी से बाहर निकाल देता है। इससे पानी काफी समय तक साफ और पीने योग्य बना रहता है।
खास बात यह है कि एफ-स्टैंड की मदद से कई बार पानी को साफ किया जा सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस किफायती तकनीक से पिछड़े और विकासशील देशों में साफ पानी की समस्या का अंत हो जाएगा।