एजेंसी/ हिंदू धर्म में ज्येष्ठ मास बेहद पवित्र और पुण्यकारी माना जाता है. मगर ज्येष्ठ मास की शुक्लपक्ष की एकादशी के सूर्योदय से द्वादशी के सूर्यास्त तक निर्जला एकादशी व्रत करने का विधान बताया गया है. इस व्रत में पानी पीना तक वर्जित माना जाता है हालांकि सुविधा और स्वास्थ्य के अनुसार श्रद्धालु पानी पी सकते हैं।
एकादशी का व्रत शस्त्रों के तहत इस व्रत करने के साथ ही श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाऐं पूर्ण हो जाती हैं. इस वर्ष निर्जला एकादशी 16 जून के दिन आ रही है. निर्जला एकादशी का व्रत करने से स्वास्थ्य उत्तम होता है, लोगों की आयु लंबी होती है।
सामाजिक सुख और मोक्ष की प्राप्ति होती है. मंदिरों में आमरस का प्रसाद भी वितरित किया जाता है, फलाहार के तौर पर आम का सेवन श्रद्धालु करते हैं. इस एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु या श्री कृष्ण का पूजन होता है. ज्येष्ठ मास में गर्मी भी अधिक होती है ऐसे में इस व्रत को करना बेहद कठिन माना जाता है लेकिन इस व्रत के करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाऐं पूर्ण हो जाती हैं. कलश स्थापना के साथ इस व्रत का पूजन किया जाता है।