इंसान की जिंदगी में मशीनी इंकलाब के दौर में अब ऐसे निर्माण किए जाने लगे हैं जहां इंसानों की बुद्धिमता की जरूरत वाले कामों को भी मशीनों से कराया जाए। हाल ही में एक ऐसा ही एक्सपेरिमेंट सामने आया है जिसने पूरी दुनिया को चौंका दिया है।
जी हां इस एक्सपेरेमेंट में कुछ ऐसा ही हुआ है। दरअसल, एक मशीन ने अपनी बुद्धिमता से शतरंज के खेल में इंसानों को भी पीछे छोड़ दिया है। जी हां इस मशीन ने शतरंज के खेल में ऐसी चाल चली जो पिछले 1500 साल में किसी ने नहीं चली थी। कहा जा रहा है कि पिछले 1500 सालों में किसी भी इंसानी दिमाग ने चेक बोर्ड में नहीं सिखा होगा।
एआई के इस कंप्यूटर प्रोग्राम ने साबित कर दिया कि वह विश्व का सर्वश्रेष्ठ चेस चैंपियन है। इस कंप्यूटर प्रोग्राम का नाम ‘अल्फाजीरो’ है। यही नहीं इस नए प्रोग्राम ने पुराने विजेताओं को कहीं दूर पीछे छोड़ दिया है।
गैरी केसपेरोव, जो साल 1997 में आईबीएम सुपर कंप्यूटर डीप ब्लू के आगे हार गए थे। उस वक्त कहा गया था कि मशीनों में ये ताकत होती है जो इंसानी नॉलेज को पीछे छोड़ देती है। इसी साल 6 दिसंबर अल्फाजीरो ने चेस की दुनिया में पांव जमाया और छा गया।
क्या है ‘अल्फाजीरो’
‘अल्फाजीरो’ एक यूके कंपनी के दिमाग की उपज है। यह प्रोग्राम लंदन में जन्मा है। इसका नाम डीपमाइंड है। ये कंप्यूटर प्रोग्राम बनाता है जो अपने ही लिए काम करते हैं। अल्फाजीरो को एल्गोरिदम भी कहते हैं। ये एक तरह के गणित के निर्देश हैं जो कोई भी सवाल का जवाब देते हैं।
सिर्फ इतना ही नहीं ‘अल्फाजीरो’ के पास प्रॉब्लम सॉल्विंग पावर है, जो गति और समय के साथ-साथ अपनी बुद्धि को तीन गुना बढ़ाती जाती है। चेस में साबित हो गया है कि इस प्रोग्राम की सोच इंसानी दिमाग से ज्यादा तेज है।
मेडिकल लाइन में भी ये मशीन कमाल
ऐसा भी कहा जा रहा है कि एआई कोई भी मेडिकल बीमारी की जांच में सबसे तेज है। जी हां… इस दिशा में भी इस मशीन का उपयोग किया जा चुका है। लंदन के एक अस्पताल एनएचएस, यूनिवर्सिटी कॉलेज और हॉस्पिटल, मुरफील्ड आई हॉस्पिटल में भी इसका ट्रायल हो चुका है। यूसीएलएच में एआई ने एक ऐसे सिस्टम बनाया है जो ये पता लगाया कि आपके दिमाग और गर्दन में कैंसर है या नहीं।
इससे साबित हो गया कि ये मशीन चेस पर ही अपनी सफलता नहीं दिखाते हैं बल्कि इंसानों की जिंदगी और मौत के बारे में भी बताती है। यही नहीं यह मशीन प्रोग्राम इंसानों से पहले कैंसर के निदान में सक्षम है। डॉक्टरों की टीम को कैंसर के रेडिएशन के बारे में पता लगाने में 4 घंटे से भी ज्यादा का समय लगता है, वहीं इस मशीन को महज 1 घंटे का समय लगता है।