दुनिया का सबसे सस्ता स्मार्टफोन का देने का वादा और दावा करने वाली कंपनी रिंगिंग बेल्स में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। कंपनी की अंदरूनी कलह सामने आ रही है। फोन की कीमत को लेकर कंपनी के अधिकारियों के बीच ठनी हुई है। कंपनी ने महज 251 रु. की कीमत पर फोन देने का वादा किया था। मसलन, फोन की पहली डिलीवरी देने से पहले ही कंपनी के प्रेसिडेंट ने इस्तीफा दे दिया है।
सूत्रों की मानें को कम कीमत का फोन बनाने वाली कंपनी को हर एक फ्रीडम फोन पर करीब एक हजार रुपए का घाटा उठाना पड़ रहा है।
इस घाटे को लेकर कंपनी के भीतर झगड़े का माहौल बन गया। इसी के चलते अशोक चड्ढा को कंपनी के प्रसिडेंट पद से हटना पड़ा। चड्ढा की वित्तीय मामलों को लेकर बीते कुछ दिनों से प्रमोटर मोहिक गोयल से अनबन चल रही थी।
सूत्रों के मुताबिक गोयल ही कंपनी को संभाल रहे हैं। वहीं चड्ढ़ा ने मीडिया को जानकारी दी है कि वे कंपनी से बतौर सलाहकार जुड़े थे, वे कभी कंपनी के कर्मचारी नहीं रहे। चड्ढा का पत्ता साफ होने से कयास लगाए जा रहे है कि जो लोग सस्ता फोन पाने की उम्मीद बांधे बैठे, उन्हे और लंबा इंतजार करना पड़ सकता है।
आखिर कब मिलेगा 251 रु. वाला फोन?
नोएडा की कंपनी रिंगिंग बेल्स ने फरवरी में सबसे सस्ते स्मार्टफोन फ्रीडम 251 को लांच किया था, जिसकी कीमत भी 251 रुपए ही रखी। तब लेकर अब तक कंपनी अपने सस्ते फोन को लेकर विवादों में घिरी है। फोन अब ग्राहकों से दूर है।
इससे पहले कंपनी ने बेहद मामूली रकम में अच्चे फीचर गिनाकर लोगों का ध्यान खींचा था। कंपनी के मुताबिक फोन में आगे-पीछे दोनों तरफ कैमरे हैं। फोन चार इंच (10.2 सेंटीमीटर) चौड़ा है। एक जीबी रैम, आठ जीबी इंटरनल स्टोरेज, एक्सपैंडेबल मेमोरी 32 जीबी तक बताई गई थी। फोन में क्वाड-कोर प्रोसेसर से चलता है।
फ्रीडम 251 सफेद और काले रंग में उपलब्ध बताया गया था। कंपनी ने बताया था कि फोन का तैयार मॉडल सात जुलाई के बाद ही उपलब्ध हो पाएगा।
फ्रीडम 251 को डिजिटल इंडिया से जोड़कर ठगी लोगों की भावनाएं!
इससे पहले भारतीय जनता पार्टी के सांसद किरीट सोमैया ने फ्रीडम 251 की योजना में ‘बड़ा घपला’ होने का आरोप लगाया था। वहीं इंडियन सेलुलर एसोसियशन के मुखिया ने इसे ‘एक मजाक या एक घोटाला’ बताया था। रिंगिंग बेल्स कंपनी के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी मोहित गोयल इन आरोपों को खारिज करते हैं। उनका परिवार दशकों से सूखे मेवे का व्यापार करता रहा है।
वो कहते हैं, “मैं डिजिटल इंडिया सपने का हिस्सा बनना चाहता था। इसने मुझे सबसे सस्ते स्मार्टफोन के आइडिया तक पहुंचा दिया।” भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन का बाजार है। यहां एक अरब मोबाइल यूजर्स हैं।
फरवरी में लांच होने के बाद फ्रीडम 251 खरीदने के लिए सात करोड़ से ज्यादा लोगों ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाया था। उस वक्त इस वजह से कंपनी की वेबसाइट क्रैश कर गई थी। फरवरी में जब फोन मुझे और दूसरे पत्रकारों को दिया गया, तो हमने पाया कि वो असल में चीन में बना हुआ फोन था।
जब मैंने इसे चलाया तो यह एक बेसिक स्मार्टफोन की तरह लगा। लेकिन इसकी क्षमताओं को पता करना एक मुश्किल काम था क्योंकि इसमें बहुत कम एप्लिकेशन थे। इसमें कैलकुलेटर, म्यूजिक प्लेयर, वेब ब्राउजर और ईमेल जैसी बहुत बुनियादी सुविधाएं थीं।
न नौ मन तेल होगा, न फोन मिलेगा!
इसका ब्रांड नाम एडकॉम था जिसका सामने का हिस्सा सफेद पेंट करके छुपाया गया था। पीछे के हिस्से पर स्टिकर चिपका कर इसके नाम को छिपाया गया था। इससे गुस्साए लोगों ने कंपनी के मुख्यालय के बाहर विरोध-प्रदर्शन किया था।
पुलिस, टैक्स अधिकारियों और प्रवर्तन निदेशालय की ओर ने इसकी जांच की घोषणा की थी। रिंगिंग बेल्स ने तब लोगों के पैसे लौटा दिए थे, जो उसने इंटरनेंट के माध्यम से 30 हजार से ज्यादा लोगों से लिए थे। अब जो नया मॉडल आया है, वो वाकई में अलग है।
सबसे बड़ा बदलाव यह किया गया है कि इसमें डिस्पले के नीचे एक के बजाए तीन बटन हैं। रिंगिंग बेल्स की अभी अपनी फैक्ट्री तक बननी बाकी है। तो फिर आखिर ये फोन बन कहां बन रहे हैं मोहित गोयल ने बताया, “कंपनी फिलहाल ताइवान से फोन के कलपुर्जे मंगवा रही है।
उत्तराखंड के हरिद्वार में उसे एसेंबल किया जा रहा है।” वो कहते हैं कि एक बार उनके पास ठीक-ठाक पैसे आ जाएं तो वे भारत में ही फोन के सारे कलपुर्जे बनाना चाहते हैं।
पहले किए मुनाफे के दावे, अब नुकसान गिना रहे हैं
ऐसे एक फोन के निर्माण पर 1180 रुपए की लागत आती है। लेकिन रिंगिंग बेल्स टाई-अप के जरिए ऐप कंपनियों की मदद से फोन को सब्सिडाइज करने का दावा करती है। मोहित गोयल का कहना है कि उन्हें अब भी हर एक फोन पर 150 रुपए का नुकसान है।
वे सरकारी मदद की भी उम्मीद कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि करीब दो लाख हैंडसेट ग्राहकों को भेजने के लिए बनकर तैयार हैं। फोन के आने में अभी कुछ दिन और बचे हुए हैं। लेकिन आलोचक संतुष्ट नजर नहीं आ रहे हैं।
तकनीकी मामलों पर लिखने वाले प्रणव दीक्षित का कहना है कि उन्हें नहीं लगता कि कंपनी जो वादा कर रही है, वो सब वह दे पाएगी। दीक्षित कहते हैं, “मुझे मुश्किल लगता है कि किसी भी फोन को 251 रुपए में बनाया जा सकता है। किसी भी चीज को बनाना एक महंगा काम होता है।” वो कहते हैं कि सबसे अहम बात है कि इसे बनाने वालों के पास कोई तकनीकी बैकग्राउंड नहीं है।