18 साल सजा काटने के बाद पहुंचे गांव, हालात देख बोले दोबारा भेज दो जेल
18 साल सजा काटने के बाद पहुंचे गांव, हालात देख बोले दोबारा भेज दो जेल

18 साल सजा काटने के बाद पहुंचे गांव, हालात देख बोले दोबारा भेज दो जेल

अस्कोट, पिथौरागढ़: 15 अगस्त 2017 को अट्ठारह साल की सजा काटने के बाद जेल से रिहा पुष्कर दत्त भट्ट सिस्टम से बेहद आहत हैं। पांच महीने से वह बस्तड़ी गांव में आई आपदा में उजड़े अपने आशियाने के मुआवजे के लिए अफसरों की चौखट पर दस्तक दे रहा है, लेकिन सुनवाई नहीं हो पाई। अब उसने जिलाधिकारी को मार्मिक पाती भेजकर गुहार लगाई है कि या तो उसे मुआवजा दिला दो, नहीं तो फिर से जेल भेज दो। 18 साल सजा काटने के बाद पहुंचे गांव, हालात देख बोले दोबारा भेज दो जेल

डेढ़ साल पूर्व आपदा में पिथौरागढ़ का बस्तड़ी गांव तबाह हो गया था। यहां बादल फटने की घटना से 21 लोग जिंदा दफन हो गए थे, 24 रिहायशी भवनों का वजूद समाप्त हो गया था। इसी में पुष्कर दत्त का आशियाना भी शामिल था। आपदा में पुष्कर बच गया, क्योंकि तब वह जेल में सजा काट रहा था। उसे वर्ष 1999 में पत्नी और पुत्र की संदिग्ध हालात में जलने से हुई मौत के मामले में सजा हुई थी। तब पुष्कर की उम्र 34 थी। 

घर तो लौटा, पर आसरा नहीं मिला 

अठारह साल की लंबी अवधि जेल में बिताने के बाद पुष्कर के घर लौटने का सपना साकार तो हुआ, लेकिन गांव पहुंचते ही पैरों तले जमीन खिसक गई। वहां न तो अपना आशियाना दिखा और न गांव के बाशिंदे। यहां तक कि उसका दूसरा बेटा हिमांशु भी नहीं। हिमांशु आपदा में बच गया था। मगर, उसके बाद से वह गांव छोड़कर चला गया। कहां गया, इसका किसी को पता नहीं है।

आपदा से पहले तक वह गांव में ही एक परिवार के साथ रहता था। परिवार के किसी सदस्य के न होने की वजह से उन्हें आपदा में हुए नुकसान का मुआवजा नहीं मिल पाया था। जेल से लौटा पुष्कर घर परिवार उजड़ने से हताश था, उसने मुआवजे के लिए प्रशासन के दर पर दस्तक दी। अधिकारियों के चक्कर काटे, मिन्नतें की, लेकिन सुनवाई अब तक नहीं हो पाई।

पांच महीनों से वह कभी कहीं, कभी कहीं भटककर दिन काट रहा है।  जिलाधिकारी ने बताया कि मुआवजा सूची में इनके परिवार का नाम तो था लेकिन छह माह तक कोई मुआवजा लेने नहीं आया। ऐसे में धनराशि शासन को वापस कर दी गई। अब मुआवजा मिल पाना मुश्किल है। शासनस्तर से ही कुछ हो सकता है।

 

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