चार महीने पहले किराए में अच्छा-खासा इजाफा करने वाली दिल्ली मेट्रो का सफर अब यात्रियों की जेब पर और भारी पड़ने वाला है। दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) एक अक्तूबर से एक बार फिर मेट्रो का किराया बढ़ाने वाला है। एक अक्तूबर से मेट्रो का अधिकतम किराया बढ़ा कर 60 रुपए किया जाने वाला है। मई में बढ़ाए गए किराए से यात्रियों में पहले ही काफी नाराजगी थी। इसका नतीजा यह रहा कि मेट्रो यात्रियों की संख्या में करीब तीन फीसद गिरावट आई है।
बीते मई में डीएमआरसी ने मेट्रो के न्यूनतम किराए को बढ़ा कर आठ से दस रुपए किया था। इसके साथ ही 15, 20, 30, और अधिकतम किराया 40 रुपए किया गया था। एक अक्तूबर से न्यूनतम किराया तो 10 रुपए ही रहेगा, लेकिन 15 रुपए के बजाय दूसरा स्लैब सीधे 20 रुपए कर दिया जाएगा। इसके अलावा 30, 40, 50 रुपए और अधिकतम किराया 60 रुपए कर दिया गया है। किराया बढ़ोतरी का यह फैसला पिछली बढ़ोतरी के वक्त ही ले लिया गया था, लेकिन इस पर अमल होना बाकी था। दिल्ली हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एमएल मेहता की अगुआई में बनी दिल्ली मेट्रो के किराया निर्धारण समिति ने यह सिफारिशें की थीं।
मेट्रो प्रवक्ता ने कहा कि किराया बढ़ने के बाद यात्रियों की संख्या में करीब दो से तीन फीसद गिरावट देखी गई है, लेकिन यह गिरावट नाममात्र की है। किराया बढ़ोतरी को भी उन्होंने मामूली बढ़ोतरी करार दिया। दिल्ली मेट्रो प्रशासन किराया बढ़ोतरी का कारण आर्थिक बोझ को बताता है, लेकिन मेट्रो के नेटवर्क बढ़ने के साथ बढ़ी आमदनी का ब्योरा देने से हमेशा ही कतराता है। यह पूछने पर कि डीएमआरसी को यात्री किराया बढ़ाने से कितनी आधिक राशि मिलने लगी है, डीएमआरसी प्रवक्ता ने कहा कि ये आंकड़े फिलहाल उपलब्ध नही हैं। डीएमआरसी देनदारी के बोझ को तो बढ़ा-चढ़ा कर पेश करता है, लेकिन उसकी आमदनी में कितनी बढ़ोतरी हुई, इसका ब्योरा देने की कोई नीति ही नहीं है। बढ़े किराए से इसके घाटे को पाटने की कोशिश कितनी जायज है या इसके अलावा भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने जैसे उपाय क्यों नहीं किए जा सकते, इन पर कोई बात नहीं की जा रही है।