हिंदू धर्म में सूर्य देव ऐसे देवता हैं जो नियमित रूप से भक्तों को साक्षात दर्शन देते हैं. धार्मिक परंपरा है कि उगते सूरज को जल चढ़ाना चाहिए. लेकिन शास्त्रों में कुछ नियमों का जिक्र किया गया है. सूरज को अर्घ्य देते समय इन बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. ऐसा माना जाता है कि सूर्य को अर्घ्य देते समय गलतियां होने पर सूर्य देव क्रोधित हो जाते हैं. आइए जानें सूर्य देव को अर्घ्य देते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और इनके फायदे.
यूं अर्पित करें जल
– सूर्यदेव को जल हमेशा स्नान के बाद ही तांबे के बर्तन से देना चाहिए.
– जल अर्पित करने से पहले पानी में लाल फूल, कुमकुम और चावल आदि चीजें अवश्य शामिल करें और इसके बाद ही जल अर्पित करें.
– अर्घ्य देते समय जल की गिरती धार के साथ सूर्य की किरणों को जरूर देखें.
– सूर्य को जल अर्पित करते समय मुंह पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए.
– जल अर्पित करते समय इस बात का भी ध्यान रखें कि जल पैरों तक न पहुंचें और जल की छीटें पैरों पर न लगें.
– इसके साथ ही, जल चढ़ाते समय सूर्य मंत्र का जाप अवश्य करें.
जल चढ़ाते समय न करें ये गलतियां
– सूर्य देव को जल अर्पित करने का उत्तम समय सुबह का होता है.
– इसके साथ ही, इस बात का भी ध्यान रखें कि जल चढ़ाते समय जूते-चप्पल उतार दें. नंगे पैर ही सूर्य देव को जल अर्पित करें.
सूर्य को जल अर्पित करने के फायदे
ज्योतिष अनुसार जिन लोगों की कुंडली में सूर्य ग्रह कमजोर स्थिति में होते हैं, उन्हें नियमित रूप से जल चढ़ाना चाहिए. ऐसा करने से आत्मविश्वास में मजबूती आती है. समाज में मान-सम्मान बढ़ता है.
ज्योति शास्त्र में सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है. इसलिए आत्मशुद्धि और आत्मबल बढ़ाने के लिए नियमित रूप से सूर्य को जल अर्पित करें.
मान्यता है कि सूर्य को नियमित जल अर्पित करने से शरीर ऊर्जावान होता है.
जल अर्पित करते समय पानी में एक चुटकी रोली और लाल फूलों डाल लें. सूर्य देवता को जल अर्पित करते समय 11 बार ॐ सूर्याय नम: का जाप करें.