सार्क समिट पर लगातार दूसरे साल ग्रहण, पड़ोसी देशों ने भारत के साथ दिखाई एकजुटता

दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के देशों ने आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के साथ एकजुटता दिखाई है और ऐसा लगता है कि इस साल भी सार्क की बैठक नहीं होगी. शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सालाना बैठक के इतर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सार्क देशों के प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात की.

मंत्रिस्तरीय बातचीत में आतंकवाद का मुद्दा छाया रहा है. एक सीनियर डिप्लोमेट्स ने आजतक को बताया कि पाकिस्तान ने इस बैठक में सार्क सम्मेलन की मेजबानी का मुद्दा उठाया. पाकिस्तान ने बैठक में कहा कि वह जल्द ही सार्क देशों की बैठक आयोजित करना चाहता है.

हालांकि एक दूसरे प्रतिनिधि ने कहा कि सार्क देशों की बैठक के लिए माहौल अनुकूल नहीं है और इस बात पर वहां मौजूद सभी लोगों ने सहमति जताई. वास्तव में सभी लोगों ने इस बात पर सहमति जताई कि जब तक स्थिति नहीं सुधरती है, पाकिस्तान को सार्क बैठक की मेजबानी नहीं करनी चाहिए.

बता दें कि 2016 में पाकिस्तान को सार्क देशों की मेजबानी करनी थी. लेकिन, भारत के समिट में भाग न लेने के फैसले के बाद बांग्लादेश, अफगानिस्तान ने पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को समर्थन देने का मुद्दा उठाते हुए सार्क बैठक से खुद को अलग कर लिया था. इसके बाद सार्क बैठक रद्द कर दी गई. हालांकि इस साल भी इस तरह की कोई पहल नहीं दिख रही, जिसके आधार पर कहा जा सके कि सार्क बैठक होगी. आम तौर सार्क समिट का आयोजन नवंबर महीने में होता है.

इस बीच विदेश मंत्री सुषमा स्वराज आज संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 72वीं सालाना बैठक को संबोधित करेगी. सुषमा के संबोधन में क्षेत्रीय खुशहाली, संपर्क और सहयोग के साथ क्षेत्र में शांति बनाए रखने पर जोर हो सकता है.

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