लखनऊ। राज्य सरकार पर कर्ज का बोझ बढ़ा है। शुक्रवार को योगी सरकार की ओर से पेश किये गए वित्तीय वर्ष 2018-19 के बजट के आंकड़ों से तो यही जाहिर होता है। वर्ष 2017-18 के पुनरीक्षित अनुमान में सरकार पर कर्ज का बोझ 406474.31 करोड़ रुपये है, जिसके 2018-19 में बढ़कर 443362.52 करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है। सरकार पर कर्ज का बोझ सकल राज्य घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में चालू वर्ष के पुनरीक्षित अनुमान में जहां 29.5 प्रतिशत था, वहीं 2018-19 में इसके बढ़कर 29.8 प्रतिशत हो जाने का अनुमान लगाया गया है।
अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकार ने अगले वित्तीय वर्ष में बाजार से 49603 करोड़ रुपये का कर्ज लेने का इरादा जताया है। इसके अलावा उसने नाबार्ड से अवस्थापना संरचना विकास निधि (आरआइडीएफ) के तहत 2200 करोड़ रुपये, नाबार्ड से एलआइटीएफ के तहत 3600 करोड़ रुपये और अन्य संस्थाओं से 200 करोड़ रुपये कर्ज लेने की मंशा जतायी है।
जीएसटी से धनवर्षा की उम्मीद
योगी सरकार ने 4,28,384.52 करोड़ रुपये के बजट को ईंधन देने के लिए वित्तीय वर्ष 2018-19 में स्वयं के कर राजस्व से 1,22,700 करोड़ रुपये जुटाने का मंसूबा पाला है। यह चालू वित्तीय वर्ष के पुनरीक्षित अनुमान की तुलना में 29.2 प्रतिशत ज्यादा है। पिछले बजट में सरकार ने अपने कर राजस्व से 111501.9 करोड़ रुपये जुटाने का इरादा जताया था जो पुनरीक्षित अनुमान में घटकर 94958.92 करोड़ रुपये रह गया था। स्वयं के कर राजस्व में इजाफे के लिए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से धनवर्षा की उम्मीद की गई है।
स्वयं के कर राजस्व के तहत सरकार ने अगले वित्तीय वर्ष में राज्य वस्तु एवं सेवा कर (स्टेट जीएसटी) और मूल्य संवर्धित कर से 71500 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य तय किया है। राज्य उत्पाद शुल्क (आबकारी शुल्क) से 23000 करोड़ रुपये, स्टांप व पंजीकरण फीस से 18000 करोड़ रुपये, विद्युत कर तथा शुल्क से 2000 करोड़ रुपये और वाहन कर से 7400 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा गया है। वहीं केंद्रीय करों में राज्य के अंश के तौर पर 1,33,648 करोड़ रुपये हासिल करने का अनुमान लगाया है।