सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार आरती के मध्य ही कर्तल ध्वनि उत्पन्न करना उपयुक्त पद्धति है। आरती को छोड़कर अन्य समय में मंदिर में ताली नहीं बजानी चाहिये। कहते हैं कि भगवान शिव के मंदिर में किसी भी समय ताली नहीं बजानी चाहिये। मान्यता अनुसार भगवान शिव ध्यान में मग्न रहते हैं। कभी भी मंदिर में जाकर कुछ लोग उनके शिवलिंग के पास तीन बार ताली बजाते हैं। ये अनुचित है। इस तरह शिवलिंग के पास ताली बजाने से उनका ध्यानभंग हो जाता है। इससे उनके गण रुष्ठ हो जाते हैं।
सिर्फ आरती के समय बजायें ताली
आप जब भी शिवमंदिर में जाएं तो सिर्फ संध्यावंदन के समय ही वहां ताली, घंटी या शंख बजा सकते हैं। कीर्तन के समय हाथ ऊपर उठा कर ताली बजाना में काफी शक्ति होती है। संकीर्तन से हमारे हाथों की रेखाएं तक बदल जाती हैं। ताली बजाना सर्वोत्तम एवं सरल सहज योग है। यदि प्रतिदिन अगर नियमित रूप से 2 मिनट भी तालियां बजाई जाएं तो कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं को सुलझाया जा सकता है।
ताली बजाने से होते हैं कई लाभ
एक्यूप्रेशर सिद्धांत की माने तो मनुष्य के हाथों में पूरे शरीर के अंग व प्रत्यंग के दबाव बिंदु होते हैं। जिनको दबाने पर संबंधित अंग तक खून व ऑक्सीजन का प्रवाह पहुंचने लगता है और धीरे-धीरे वह रोग ठीक होने लगता है। ताली बजाने से सभी बिंदुओं पर प्रेशर पड़ता है। जिस प्रकार से ताला खोलने के लिए चाभी की आवश्यकता होती है, ठीक उसी तरह कई रोगों को दूर करने में यह ताली ना सिर्फ चाभी का ही काम करती है, बल्कि कई रोगों का ताला खोलने वाली होने से इसे मास्टर चाभी भी कहा जाता है।