जासूसी विवाद पर केंद्र की मोदी सरकार ने व्हाट्सएप से 4 नवंबर तक जवाब देने के लिए कहा है. इस पूरे विवाद में कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी भी कूद पड़े हैं. उन्होंने ट्वीट करते हुए मोदी सरकार पर तंज कसा है. उन्होंने कहा है कि भारत के लोगों की जासूसी पर व्हाट्सएप से जवाब मांगना बिलकुल वैसा ही है जैसे पीएम मोदी का दसॉ से यह पूछना कि राफेल फाइटर जेट विमानों के सौदे पर किसने पैसे कमाए.

दरअसल, व्हाट्सएप के उस खुलासे से हड़कंप मच गया जिसमें उसने कहा कि स्पाईवेयर पीगासस भारत में भी सक्रिय था और यहां के लोगों की भी जासूसी कर रहा था. व्हाट्सएप ने बताया कि भारतीय पत्रकार और ह्यूमन राइट ऐक्टिविस्ट्स इस जासूसी का निशाना थे. इस पूरे प्रकरण पर सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने व्हाट्सएप से 4 नवंबर तक विस्तृत जवाब देने के लिए कहा है. गुरुवार को फेसबुक के स्वामित्व वाले व्हाट्सएप ने बताया था कि इजरायली स्पाईवेयर पीगासस भारतीय पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी कर रहा था.
इस मामले पर गृह मंत्रालय ने कहा कि सरकार पर निजता के हनन के इल्जाम बेबुनियाद हैं. ऐसा करके सरकार की छवि को धूमिल करने की कोशिश की गई है. साथ ही मंत्रालय ने कहा है कि सरकार निजता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और दोषी पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. गृह मंत्रालय ने कहा है कि व्हाट्सएप पर भारतीय नागरिकों की गोपनीयता भंग करने संबंधी रिपोर्टों के आधार पर कुछ बयान प्रकाश में आए हैं. भारत सरकार को बदनाम करने की ये कोशिश पूरी तरह से गलत हैं.
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