दिल्ली में आध्यात्म विश्वविद्यालय के नाम पर सेक्स जेल चलाने वाले अय्याश बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित को कोर्ट में पेश ना किए जाने और कार्रवाई में बाधा पहुंचाने के लिए दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है। इसके साथ ही कोर्ट ने सीबीआई को जिम्मेदारी सौंपी है कि वह बाबा को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करे।
कोर्ट ने ये भी कहा है कि अगर जरूरत पड़े तो बाबा के खिलाफ किडनैपिंग का मामला भी दर्ज किया जाए, लेकिन उसे जल्द से जल्द कोर्ट में पेश किया जाए।
वहीं इससे पहले बुधवार को सीबीआई ने दिल्ली के रोहिणी के एक आश्रम में लड़कियों और महिलाओं को बंधक बनाकर रखने तथा उनके साथ रेप करने के आरोप में स्वयंभू बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित के खिलाफ तीन मामले दर्ज किए हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर केंद्रीय जांच एजेंसी ने इन तीनों मामलों की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय विशेष जांच दल भी गठित किया है। इसकी अगुवाई एसपी स्तर का अधिकारी करेगा।
तीन मामलो में सीबीआई ने दर्ज की FIR
एजेंसी के एक अधिकारी ने बताया, सीबीआई ने उन तीन मामलों की जांच अपने हाथ में ली है जिनमें दिल्ली पुलिस ने रोहिणी के विजय विहार थाने में एफआईआर दर्ज की थी। एजेंसी ने फिर से एफआईआर दर्ज की है।
दीक्षित के खिलाफ दो मामले कथित रेप और आपराधिक तौर पर धमकाने से जुड़े हैं। जबकि एक मामला अज्ञात लोगों पर किया गया है। इन लोगों पर 19 दिसंबर, 2017 को आश्रम में जांच के लिए गई हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त कमेटी के काम में बाधा पहुंचाने का आरोप है।
हाईकोर्ट ने 20 दिसंबर को सीबीआई को लड़कियों और महिलाओं को कथित तौर पर बंधक रखने के आरोपों की जांच करने को कहा था। आश्रम में उन्हें कांटेदार तारों से घिरे ‘किले’ में लोहे के दरवाजों के पीछे ‘पशु जैसी स्थितियों’ में रखा गया था।
इस मामले की गंभीरता और संवेदनशीलता का संज्ञान लेते हुए कार्यकारी चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी हरि शंकर की बेंच ने सीबीआई निदेशक को एसआईटी गठित करने को कहा था। उनसे मामले से संबंधित सभी रिकॉर्ड और दस्तावेज अपने पास लेने को कहा गया था।
हाईकोर्ट ने सीबीआई को रोहिणी स्थित आश्रम और इसके संस्थापक व प्रमुख दीक्षित के खिलाफ दिल्ली में दायर एफआईआर, गायब लड़कियों से संबंधित शिकायतों की डेली डायरी, यौन अपराधों और आत्महत्या से जुड़े मामलों की जांच करने को कहा था।