इस वक्त दुनिया भर में म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमानों की बात हो रही है।अपना घर-बार छोड़कर भाग रहे इन मुसलमानों को रहने के लिए ठिकाना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में म्यांमार की शीर्ष नेता आंग सान सू ची चौतरफा निशाने पर हैं।
रोहिंग्या मुसलमानों की सुरक्षा सुनिश्चित करा पाने में नाकामयाब सू ची को कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है।
अंतरराष्ट्रीय आलोचना
आखिरकार मंगलवार को सू ची सामने आईं और कहा कि वो खुद रोहिंग्या मुसलमानों से मिलकर ये जाननी चाहती हैं कि वो म्यांमार छोड़कर क्यों जा रहे हैं।साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि रोहिंग्या संकट से निपटने के लिए उनकी सरकार की हो रही अंतरराष्ट्रीय आलोचनाओं से उन्हें डर नहीं लगता है।
बांग्लादेशी मीडिया में सू ची के इस बयान को कैसे देखा जा रहा है, ये जानने के लिए बीबीसी ने बांग्लादेश के कुछ बड़े अखबारों पर नजर डाली।
‘द डेली ऑब्जर्वर’ का पहला पन्ना मौजूद रोहिंग्या समस्या और सू ची के भाषण की व्याख्या से भरा हुआ है। अखबार लिखता है कि सू ची ने यह साफ कर दिया है कि उन्हें अंतरराष्ट्रीय आलोचना से डर नहीं लगता है।
खबर में आगे बताया गया है कि उन्होंने अपना पूरा भाषण अंग्रेजी में दिया और कहा कि वो मानवाधिकारों की रक्षा के लिए तत्पर हैं।
रोहिंग्या मुसलमान के साथ हिंसा को लेकर सेना जिम्मेदार नहीं
हालांकि सू ची ने रोहिंग्या मुसलमानों के साथ हुई हिंसा के लिए सेना को जिम्मेदार ठहराने से इनकार कर दिया। वहीं ‘द बांग्लादेश टुडे’ में इस खबर को बहुत ज्यादा प्रमुखता नहीं दी गई है। कुछ खबरें जरूर हैं लेकिन वो दूसरी खबरों के तले दबी सी नजर आ रही हैं।
रोहिंग्या मुसलमानों से जुड़ी जो पहली खबर अखबार के पहले पन्ने पर है वो बताती है कि बांग्लादेश में मुख्य चुनाव आयुक्त ने वहां पहुंचे रोहिंग्या लोगों को वोट देने से रोकने के लिए अलर्ट किया है।
अखबार में यह भी बताया गया है कि संयुक्त राष्ट्र ने दुनिया भर के संगठनों से रोहिंग्या मुसलमानों की तत्काल मदद करने की अपील की है। दूसरी खबर में सू ची के संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में हिस्सा न लेने की जानकारी दी गई है।
‘न्यू एज’ अखबार के पहले पन्ने पर रोहिंग्या संकट और इससे जुड़ी खबरों को प्रमुखता से जगह दी गई है।
म्यांमार छोड़कर जाने की वजह
‘न्यू एज’ के फ़्रंट पेज पर तीखा कटाक्ष करता हुआ कार्टून देखा जा सकता है जिसमें सू ची को पीठ के पीछे बंदूक छिपाए हुए दिखाया गया है।साथ में वो यह भी कह रही हैं कि वो रोहिंग्या मुसलमानों के म्यांमार छोड़कर जाने की वजह जानना चाहती हैं।
अखबार में पहली रिपोर्ट बांग्लादेश के कॉक्स बाजार से है जो पीने के साफ पानी की कमी की वजह से रोहिंग्या मुसलमानों को हो रही स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियों पर बात करती है।
इससे पहले बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा था कि वो रोहिंग्या मसले पर अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप से मदद की उम्मीद नहीं रखती हैं। म्यांमार के उत्तरी रखाइन प्रांत में 25 अगस्त को रोहिंग्या संकट की शुरुआत हुई।
उसके बाद से जारी हिंसा में तकरीबन चार लाख से ज्यादा मुसलमान पड़ोसी देश बांग्लादेश में पलायन कर चुके हैं।