इस देश में राजनीतिक दलों की वोटों की लड़ाई में अगर किसी की सबसे ज्यादा छीछालेदर हो रही है तो वह है हिंदू धर्म रोज नई-नई व्याख्याएं सामने आ रही हैं। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आलोचना के लिए हिंदुअोंके आराध्य शिवलिंग और उस पर बैठे बिच्छू के रूपक का प्रयोग किया तो इंदौर में भाजपा प्रवक्ता डाॅसंबित पात्रा ने कांग्रेस अध्यंक्ष राहुल गांधी के हिंदुत्व को ‘फैंसी ड्रेस हिंदुत्व’ करार दिया। उन्होने राहुल से उनका (धार्मिक) गोत्र भी पूछा। थरूर ने तो ‘बिच्छू’ के साथ-साथ राजनीतिक ‘डंक’ भी मार दिया कि यह ‘रूपक’ आरएसएस के ही एक व्यक्ति ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर एक पत्रकार को बताया था। थरूर ने मोदी पर एक किताब ‘द पैराडाॅक्सिकल प्राइम मिनिस्टर’ ( असत्यवत प्रधानमंत्री) लिखी है। मोदी पर इस ‘मुहावरेदार’ हमले से भाजपा का भड़कना स्वाभाविक था। उसने थरूर पर हिंदू आस्थाअो को चोट पहुंचाने का आरोप लगाया। केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने थरूर से माफी मांगने को कहा, लेकिन थरूर ने उसे ठुकरा दिया।
कांग्रेस में पिछले कुछ समय से माना जा रहा था कि अपने विवादित बयानों से अपनी ही पार्टी को मुश्किल में डालने वाले नेता मणिशंकर अय्यर की खाली जगह कांग्रेस सांसद शशि थरूर भरने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। यानी कांग्रेस अपनी राजनीतिक पोजीशन कुछ ठीक करती है तो थरूर किसी आत्मघाती बयान से पूरी जमावट छिन्न-भिन्न कर देते हैं। ऐसे में समझना मुश्किल हो जाता है िक वे अपनी पार्टी की मदद कर रहे हैं या उसे ठिकाने लगा रहे हैं। पिछले दिनो थरूर ने कहा था कि 2019 के चुनाव में भाजपा फिर जीती तो भारत ‘हिंदू पाकिस्तान’ बन जाएगा। हाल में थरूर ने कहा था िक कोई भी अच्छा हिंदू नहीं चाहता कि अयोध्या में राममंदिर बने। हालांकि, विवाद बढ़ने के बाद उन्होंने सफाई दी थी कि उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया गया।
इस बार मामला जरा अलग है। तीर मोदी पर साधा गया है और बांछें कांग्रेस की खिल गई हैं। बेंगलुरू के ‘लिट फेस्ट’ में थरूर ने अपनी नई किताब के विमोचन अवसर पर कहा कि मोदी का मौजूदा व्यक्तित्व उनके समकक्षों के लिए निराशा का विषय बन गया है। ‘मोदी, ‘मोदी + हिंदुत्व’ के चलते अब संघ से भी ऊपर हो चुके हैं।‘थरूर ने खुलासा किया कि संघ के एक सदस्य ने एक नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा था-‘ मोदी आरएसएस के लिए शिवलिंग पर बैठे उस बिच्छू की तरह हैं, जिसे न हाथ से हटाया जा सकता है और न ही चप्पल से मारा जा सकता है। अर्थात अगर हाथ से हटाया तो बिच्छू डंक मार देगा और चप्पल उठाएंगे तो धार्मिक आस्था का घोर अपमान होगा। तात्पर्य कि मोदी को अब न झेलते बन रहा है और न ही छोड़ना मुनासिब है। इस किताब के कवर पेज पर मोदी की दो तस्वीरें हैं, जिनमें एक मोदी दूसरे मोदी को हैरानी के भाव से देख रहा है। किताब में मोदी सरकार की कई नीतियों पर भी कई उठाए गए हैं।
थरूर की इस किताब में क्या सही है, कितना सही है, कहना मुश्किल है। लेकिन उन्होने जो कहा, उसने भाजपा की दुखती रग जरूर दबा दी है। क्योंकि भाजपा के ही एक नेता हाल में मोदी को विष्णु का ग्यारहवां अवतार बता चुके हैं। यहां मोदी और परमेश्वर एकाकार हो चुके हैं। इसीलिए भाजपा देव प्रतिमा के अपमान को मोदी के अपमान से जोड़ कर बताने की कोशिश कर रही है। इसका सीधा अर्थ है कि मोदी में अगर कोई दोष हैं तो उन्हें झेलना भी जनता जनार्दन का परम कर्तव्य है। चूंकि मोदी देवताअोंके समकक्ष हैं, इसलिए उनका कोई भी ‘अपमान’ हिंदू देवताअों का अपमान है। थरूर के बयान पर इस बार कांग्रेस बैक फुट पर नहीं गई, क्योंकि उसने बिच्छू के राजनीतिक डंक की मार को पहले ही समझ लिया था। अलबत्ता संघ विचारक राकेश सिन्हा ने जरूर थरूर से सवाल किया कि क्या ऐसा बयान देने के पूर्व उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से पूछ लिया था?
इधर सिन्हा थरूर से राहुल से इजाजत को लेकर जवाब तलब कर रहे थे, उधर पार्टी के एक चर्चित प्रवक्ता संबित पात्रा राहुल की शिव भक्ति से परेशान दिखे। राहुल गांधी द्वारा उज्जैन में पवित्र ज्योतिर्लिंग महाकाल का अभिषेक करने पर उन्होने तीखा तंज कसते हुए राहुल की धार्मिक निष्ठाअों पर सवालिया निशान लगाया। क्योंकि राहुल महाकाल मंदिर में बाकायदा पीताबंर आदि पहन कर गए थे। संबित ने राहुल की शिव भक्ति को ‘फैंसी ड्रेस हिंदुत्व’ की संज्ञा दी। मतलब ‘बहुरूपिया हिंदुत्व।‘ इसकी व्याख्या करें तो राहुल मन से तो हिंदू नहीं है, लेकिन राजनीतिक स्वार्थ के कारण ‘शिव भक्त’ हो गए हैं या होने का दिखावा कर रहे हैं। उनकी इस भगवद भक्ति पर किसी को भरोसा नहीं करना चाहिए। क्योंकि बहुरूपिया का काम केवल लोगों का मनोरंजन करना या उनकी आंखों में धूल झोंकना है, धर्म की सेवा या आध्यात्मिक सिद्धी हासिल करना नहीं है। दूसरे शब्दों में कहें तो राहुल केवल उन पर लगे ‘अ-हिंदू’ होने के आरोपों को दिखावटी शिव भक्ति के चंदन से धो डालना चाहते हैं। यह प्रक्षालन हिंदुअो में विश्वास पैदा करे न करे, भाजपा की छाती पर सांपो का डिस्को जरूर करवा रहा है। निश्चय ही यदि थरूर बिच्छू के रूपक से प्रधानमंत्री को जोड़ना चाहते हैं तो यह अपमानजनक है।
यहां सवाल यह है कि यदि राहुल गांधी का हिंदुत्व इतना ‘फैंसी’ है तो भाजपा को उससे डरने की जरूरत क्या है? माना कि शिव भोले भंडारी हैं, लेकिन इतने भी भोले नहीं है कि राहुल की शिव भक्ति और भाजपा की शिव भक्ति के बीच फर्क न कर सकें। शिव लिंग स्वयं ब्रह्म का प्रतीक है और फिर सांप-बिच्छू तो शिव के अनुचर हैं। वो तो शिव को डंक मार ही नहीं सकते। तो फिर वो कौन ‘परम भक्त’ था जिसने शिव लिंग पर चढ़े बिच्छू को मारने में संगठन की असहायता का मार्मिक जिक्र थरूर के करीबी पत्रकार से िकया था?
यह व्यक्ति कौन हैं, इसका खुलासा करने की मांग अभी तक िकसी भाजपा या संघ के नेता ने नहीं की है। हां, अगर थरूर झूठ बोल रहे हैं तो उन्हें प्रधानमंत्री को ‘झूठा’ पीएम कहने नैतिक अधिकार नहीं है।
रहा सवाल संबित का तो इस शब्द का अर्थ चेतना होता है। ज्योतिष कहता है कि नाम संबित हो और राशि कुंभ हो तो उसमें ( वाचालता और राजनीतिक) ऊर्जा कूट-कूट कर भरी होती है। संबित के मामले में पहला गुण बीसा ज्यादा जान पड़ता है। चूंकि यहां संदर्भित दोनो मामलों का रिश्ता शिव से ही है, इसलिए प्रश्न तो उसकी भक्ति में छिपी नीयत को लेकर होना चाहिए। हो सकता है िक भाजपा को जो फायदा ‘राम’ में दिखा, वह राहुल और कांग्रेस को ‘िशव’ में दिख रहा हो। आखिर दोनो का राजनीतिक उद्देश्य तो एक ही है, वो है वोटों की धूनी रमाना और इसी धूनी से राजयोग साधना। इस धूनी में साध्यम ही सर्वोपरि है न कि किसी का गोत्र अथवा बिच्छू उतारने का कोई शर्तिया मंतर।