ट्रांसपोर्ट नगर के एडब्ल्यू-7 लेन में सड़क के किनारे चाय की दुकान के सामने 12 पहिये वाला ट्रक रुकता है और ड्राइवर गाड़ी के अंदर से ही आवाज लगाता है, अरे चाची, देख तो पिछला पहिया बहुत ज्यादा उछल रहा था।
यह सुनते ही चाय बना रही शांति देवी अपने पति को चाय की केतली पकड़ाती हैं और ट्रक का पहिया खोलने चल पड़ती हैं। शांति को ठीक से याद नहीं है, लेकिन अपनी उम्र वो 50-55 के आसपास बताती हैं।
शांति देवी 20 वर्षों से ट्रक रिपेयरिंग का काम कर रही हैं। ट्रक के पहिये खोलने और उनके नट बोल्ट कसने आदि के लिए शारीरिक ताकत की जरूरत पड़ती है, इसलिए इस पेशे को पुरुषों के अनुकूल माना जाता है। फिर शांति देवी ने इस पेशे में कदम कैसे रखा, यह भी एक दिलचस्प कहानी है।
शांति देवी मध्य प्रदेश की रहने वाली हैं और 20 साल पहले उनका परिवार रोजगार की तलाश में दिल्ली आया। उनके पति ट्रक के पहियों का पंचर बनाते थे और शांति चाय की दुकान संभालती थीं।
उन्होंने धीरे-धीरे पति के काम में भी हाथ बंटना शुरू कर दिया। आज हालत ये हैं कि शांति देवी रोजाना 12 घंटे काम करती हैं।