126 करोड़ के घोटाले के आरोपी वाले यमुना प्राधिकरण के पूर्व सीईओ पी.सी.गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया गया है। गुप्ता को उस वक्त गिरफ्तार किया गया जब वह पीतांबरा पीठ के दर्शन कर लौट रहे थे। उस वक्त उनके साथ उनकी पत्नी भी थी। पूर्व सीईओ पी.सी.गुप्ता जैसे ही मंदिर से बाहर निकले सादी वर्दी में मौजूद पुलिसकर्मियों ने उनको हिरासत में ले लिया और गौतमबुद्धनगर के लिए रवाना हो गए।126 करोड़ के घोटाले के आरोपी वाले यमुना प्राधिकरण के पूर्व सीईओ पी.सी.गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया गया है। गुप्ता को उस वक्त गिरफ्तार किया गया जब वह पीतांबरा पीठ के दर्शन कर लौट रहे थे। उस वक्त उनके साथ उनकी पत्नी भी थी। पूर्व सीईओ पी.सी.गुप्ता जैसे ही मंदिर से बाहर निकले सादी वर्दी में मौजूद पुलिसकर्मियों ने उनको हिरासत में ले लिया और गौतमबुद्धनगर के लिए रवाना हो गए।  पीसी गुप्ता पर आरोप है कि उसने यमुना प्राधिकरण का सीईओ रहते हुए भाई, भतीजे और करीबी रिश्तेदारों के नाम मथुरा में किसानों से सस्ती दर पर मास्टर प्लान से बाहर जाकर जमीन खरीदवाई और दो माह के अंतराल में ही उस जमीन को प्राधिकरण ने खरीद लिया। प्राधिकरण ने यह जमीन मथुरा क्षेत्र मादौर, सेऊपट्टी खादर, सेऊपट्टी बांगर, कोलाना बांगर, कोलाना खादर, सोतीपुर बांगर, नौहझील बांगर में रैंप बनाने व किसानों को सात फीसद भूखंड देने के नाम पर खरीदी थी।  इस पर करीब 86 करोड़ रुपये खर्च किए गए। ब्याज समेत यह राशि बढ़कर 126 करोड़ रुपये हो गई। हालांकि यह जमीन एक्सप्रेस से काफी दूर थी, इसलिए न तो इस जमीन पर रैंप का निर्माण हो सका और न ही किसानों को विकसित भूखंड दिए जा सके। यह जमीन एक साथ न होकर जगह-जगह टुकड़ों में बंटी थी।

पीसी गुप्ता पर आरोप है कि उसने यमुना प्राधिकरण का सीईओ रहते हुए भाई, भतीजे और करीबी रिश्तेदारों के नाम मथुरा में किसानों से सस्ती दर पर मास्टर प्लान से बाहर जाकर जमीन खरीदवाई और दो माह के अंतराल में ही उस जमीन को प्राधिकरण ने खरीद लिया। प्राधिकरण ने यह जमीन मथुरा क्षेत्र मादौर, सेऊपट्टी खादर, सेऊपट्टी बांगर, कोलाना बांगर, कोलाना खादर, सोतीपुर बांगर, नौहझील बांगर में रैंप बनाने व किसानों को सात फीसद भूखंड देने के नाम पर खरीदी थी।

इस पर करीब 86 करोड़ रुपये खर्च किए गए। ब्याज समेत यह राशि बढ़कर 126 करोड़ रुपये हो गई। हालांकि यह जमीन एक्सप्रेस से काफी दूर थी, इसलिए न तो इस जमीन पर रैंप का निर्माण हो सका और न ही किसानों को विकसित भूखंड दिए जा सके। यह जमीन एक साथ न होकर जगह-जगह टुकड़ों में बंटी थी।