श्वेता को उम्मीद है कि अपने विचारों और दृढ़ संकल्प के बल पर वह मतदाताओं के दिल जीत लेगी. लेकिन मणिनगर में भाजपा को पछाड़ना कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगा, ऐसा इसलिए क्योंकि यहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का राज्य मुख्यालय है. वर्ष 1990 से इसे बीजेपी का ऐसा गढ़ माना जाता है जिसमें सेंध लगाना लगभग असंभव है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए वर्ष 2002, 2007 और 2012 में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था. इससे पहले वर्ष 1990 से 1998 तक बीजेपी नेता कमलेश पटेल इस सीट पर काबिज थे. वर्ष 2012 में मोदी ने अपनी प्रतिद्वंद्वी कांग्रेसी उम्मीदवार श्वेता भट्ट को 86,000 मतों के अंतर से हराया था. वह आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट की पत्नी हैं जो मोदी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के कट्टर आलोचक थे.

वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने इस सीट से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद हुए उपचुनाव में जनता ने बीजेपी के सुरेश पटेल को जोरदार जीत दिलाई. श्वेता ने लंदन में वेस्टमिंस्टर यूनिवर्सिटी से वर्ष 2005 में इंटरनेशनल फायनेंस की पढ़ाई की थी. भारत में बहुराष्ट्रीय कंपनियों में वह निवेश बैंकर के रूप में काम कर चुकी हैं. वर्ष 2012 में उन्होंने आईआईएम बैंगलोर से ‘इंडिया-वुमन इन लीडरशिप’ का कोर्स किया. वह मानती हैं कि सिस्टम बदलने की खातिर सिस्टम का हिस्सा बनना जरूरी है.

श्वेता ने कहा,‘‘ पढ़ी लिखी महिला होने के बावजूद अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने में मुझे बहुत कठिनाई आई, ज्यादातर की वजह लालफीताशाही थी. मैं चाहती हूं कि बाकी के लोगों को इसका सामना ना करना पड़े. ’’ श्वेता का कहना है कि कांग्रेस ने उनके ‘‘विचारों और अगली पीढ़ी के लिए कुछ करने के उनके जुनून के चलते’’ उन्हें इस सीट से खड़ा किया है. दूसरी ओर 57 वर्षीय पटेल पार्टी के गढ़ में जीत को लेकर आत्मविश्वास से भरे हैं. उन्होंने कहा,‘‘ मणिनगर की जनता मोदी की विकास की विचारधारा से जुड़ाव महसूस करती है.