13 सितंबर 2019 को आदेश जारी कर शिक्षकों को अतिरिक्त वेतनवृद्धि के रूप में किए गए भुगतान की धनराशि की वसूली के आदेश किए थे। लेकिन अब इस आदेश को न सिर्फ निरस्त कर दिया गया है, बल्कि वसूली गई धनराशि को भी लौटाने का फैसला लिया गया है।
शिक्षकों के चयन और प्रोन्नत वेतनमान के समय अतिरिक्त वेतनवृद्धि के भुगतान की वसूली के आदेश को न सिर्फ निरस्त कर दिया गया है, बल्कि वसूली गई धनराशि को भी शिक्षकों को लौटाया जाएगा। शासन ने इस संबंध में आदेश जारी किया है।
शिक्षा विभाग में शिक्षकों को सातवें वेतनमान में दी गई व्यवस्था के तहत वर्ष 2016 से चयन और प्रोन्नत वेतनमान में एक वेतनवृद्धि का लाभ दिया गया था, लेकिन छह सितंबर 2019 को शासन ने आदेश जारी कर शिक्षकों को मिलने वाले इस लाभ पर रोक लगा दी। वहीं 13 सितंबर 2019 को एक अन्य आदेश जारी कर शिक्षकों को अतिरिक्त वेतनवृद्धि के रूप में किए गए भुगतान की धनराशि की वसूली के आदेश किए।
शासन के इस आदेश के बाद कुछ शिक्षकों से इसकी धनराशि वसूली गई तो कुछ शिक्षक इसके खिलाफ हाईकोर्ट चले गए। हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब शासन ने शिक्षकों से वसूली के सभी आदेशों को निरस्त करने का आदेश किया है। शासन ने यह भी आदेश जारी किया है कि अतिरिक्त वेतनवृद्धि के रूप में भुगतान की गई जो धनराशि शिक्षकों से वसूली गई उसे शिक्षकों को लौटाया जाए। शासन के आदेश के बाद माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ़ मुकुल कुमार सती ने भी इस संबंध में सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों और दोनों मंडलों के अपर निदेशकों को निर्देश जारी किया है।
सातवें वेतनमान में दी गई व्यवस्था के तहत शिक्षकों को चयन, प्रोन्नत वेतनमान में एक वेतनवृद्धि का लाभ मिल रहा था, 2019 में इस पर रोक लगाकर शिक्षकों के साथ अन्याय किया गया। जबकि डेढ़ लाख कर्मचारियों को अब भी इसका लाभ मिल रहा है। -रमेश पैन्युली, प्रांतीय महामंत्री राजकीय शिक्षक संघ
शिक्षक हित में यह बड़ा फैसाला है। विभाग के एक गलत निर्णय की वजह से शिक्षकों को परेशानी उठानी पड़ी। -डॉ सोहन माजिला, पूर्व प्रांतीय महामंत्री, राजकीय शिक्षक संघ
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