जिसके बाद सुबह शिशु में किसी प्रकार का हलचल नहीं होने के सूचना रामेश्वर ने रूटिन चेकअप के लिए आए डॉ एचआर शेंडे को दी. डॉ शेंड ने शिशु का निरीक्षण किया और किसी प्रकार का मूवमेंट नहीं होना पाकर सुबह 9.30 बजे मृत घोषित कर दिया. इसके बाद सारी कागजी कार्रवाई के बाद अस्पताल से शिशु को डिस्चार्ज कर दिया गया. परिजन शिशु को लेकर लगभग 10 बजे गांव के लिए रवाना हो गए.
रामेश्वर के अनुसार वह शिशु को लेकर लगभग एक बजे अपने गांव जिल्दा सुलैयापारा पहुंचा. जहाँ शिशु की मौत से परिजनों में मायूसी और शोक का माहौल था. परिजन शिशु के अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे कि शिशु के शरीर में हलचल महसूस किया गया.
यह बात परिवार के साथ पूरे गांव में फैल गई और उत्साह का संचार हो गया. शिशु की स्थिति बहुत अच्छी नहीं होने कारण परिजनों ने उसे बेहतर इलाज के लिए बिलासपुर लाने का निर्णय लिया. शाम पांच बजे परिजन उसे लेकर बिलासपुर के लिए रवाना हुए. वे कुछ ही दूर पहुंचे थे कि शिशु के नाक से खून बहने लगा. इस पर परिजन आनन- पुानन में उसे लेकर खड़गवां स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे. जहाँ डाक्टर एच पी सिंह ने उसे मृत घोषित कर दिया.