नई दिल्ली Twitter के बाद अब Social Media वेबसाइट फेसबुक ने भी कहा है कि वह मुस्लिम बहुसंख्यक देशों से आए प्रवासियों का डेटाबेस बनाने संबंधी अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की तथा-कथित योजना का हिस्सा नहीं बनेगा।

‘सीएनएन मनी’ के अनुसार, फेसबुक के एक प्रवक्ता का कहना है, ‘हमसे किसी ने मुसलमान रजिस्ट्री तैयार करने को नहीं कहा है, और हम ऐसा करेंगे भी नहीं।’ फेसबुक, एप्पल और गूगल सहित देश की नौ बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों में से सिर्फ ट्विटर ने ही पहले कहा कि यदि मुसलमानों की रजिस्ट्री तैयार करने में ट्रम्प मदद मांगते हैं, तो वह कोई सहायता नहीं करेगा।
सोशल मीडिया कंपनियां भले ही डेटाबेस बनाने के पक्ष में नहीं हों, लेकिन डेटा ब्रोकर्स के पास इंटरनेट ब्राउज करने के पैटर्न पर आधारित अच्छी खासी सूचना है। फेडरल ट्रेड कमीशन की 2014 की रिपोर्ट के अनुसार, ये कंपनियां अपने उपयोक्ताओं को नस्ल, जातीयता और धर्म सहित अन्य श्रेणियों में बांट सकती हैं।
ट्रम्प ने अपने चुनाव अभियान के दौरान अमेरिका में रहने वाले मुसलमानों का डेटाबेस तैयार करने की बात कही थी।