मुस्लिम यूनिवर्सिटी मामले में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एक बार फिर अपने विरोधियों और भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कुछ ताकतें उन्हें मुस्लिम परस्त सिद्ध करना चाहती हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि इस मामले को उछालकर भाजपा के इंटरनेट मीडिया से लेकर उनके शीर्ष सिपाहियों ने भी मुस्लिम अस्त्र का उपयोग कांग्रेस की व्यूह रचना और उनकी राजनीति को ध्वस्त करने के लिए किया। उन्होंने बताया कि इस मामले में एफआइआर दर्ज कराई गई है।
इंटरनेट मीडिया पर अपनी पोस्ट में मुस्लिम यूनिवर्सिटी के प्रसंग का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसे वह यहीं समाप्त करना चाहते हैं। कुछ ताकतों को इस बार लगा कि कांग्रेस की व्यूह रचना सफल होने जा रही है। इसलिए उन्होंने नैया पार लगाने के लिए मुस्लिम अस्त्र खोजा।
उन्होंने कहा कि वह राजनीति में जिंदा रहें या न रहें, मगर मानवता परस्त हैं। वह जाति या धर्म परस्त नहीं हैं। जिस धर्म पर उन्हें अटूट विश्वास है, वह है वसुधैव कुटुंबकम। अब यही ताकतें उनकी बेटी अनुपमा रावत की राजनीति पर भी ग्रहण लगाने के लिए झूठ का सहारा ले रही हैं। अनुपमा ने भी एफआइआर दर्ज कराई है, जिसमें उन्होंने कहा कि वह सिर्फ मुसलमान वोटों से नहीं, बल्कि सर्व समाज के आशीर्वाद से जीती हैं। हरिद्वार ग्रामीण के सर्व समाज ने अपनी बेटी मानकर उन्हें विधायक का दायित्व सौंपा है।
दरअसल देहरादून जिले के सहसपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस नेता आकिल अहमद ने चुनाव के दौरान पार्टी नेतृत्व से इस क्षेत्र में मुस्लिम यूनिवर्सिटी खोलने की मांग की थी। इस मांग करने के बाद आकिल को प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष पद का जिम्मा दे दिया गया। बाद में मुस्लिम यूनिवर्सिटी का मुद्दा उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव में चर्चित हो गया। भाजपा ने इस मुद्दे पर कांग्रेस की घेराबंदी की थी।
आकिल अहमद को एक-दूसरे गुट का साबित करने की होड़
प्रदेश में कांग्रेस को चुनाव में मिली हार के बाद मुस्लिम यूनिवर्सिटी का मुद्दा फिर गरमा गया। पार्टी नेताओं ने इस मुद्दे को हार के कारणों में गिनाते हुए पार्टी के रणनीतिकारों पर सवाल खड़े किए। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को भी इस मामले में निशाने पर लिया गया। अब पार्टी के भीतर इस मांग को उठाने वाले आकिल अहमद को एक-दूसरे गुट का बताने की होड़ मची है।
उधर, प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष आकिल अहमद का कहना है कि पार्टी नेता इस मामले में उन्हें बलि का बकरा बना रहे हैं। उन्हें प्रदेश उपाध्यक्ष पद का जिम्मा देने पर उन्होंने कहा कि इस संबंध में प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव और मुख्य चुनाव पर्यवेक्षक रहे मोहन प्रकाश से पूछा जाना चाहिए।