बड़ी खबर: सरकार की अतिरिक्त उधारी से कर्ज सस्ता होना मुश्किल....

बड़ी खबर: सरकार की अतिरिक्त उधारी से कर्ज सस्ता होना मुश्किल….

केंद्र सरकार ने अचानक बाजार से 50 हजार करोड़ रुपये की अतिरिक्त उधारी उठाने की घोषणा कर ब्याज दरों में कटौती और अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीदों को धुमिल कर दिया है। गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) से उम्मीद से कम वसूली के कारण सरकार द्वारा उठाए जा रहे इस कदम के कारण 3.2 फीसदी के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करना भी मुश्किल लग रहा है। बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच की ताजा रिपोर्ट में यह अनुमान जाहिर किया गया है।बड़ी खबर: सरकार की अतिरिक्त उधारी से कर्ज सस्ता होना मुश्किल....
रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार द्वारा अपनी उधारी में 50 हजार करोड़ रुपये की बढ़ोतरी करने का फैसला टाला जा सकता था क्योंकि सरकार प्रतिभूतियों का बाजार पहले से ही घबराहट का माहौल है। सरकार द्वारा बैंकों को वित्तीय मदद की घोषणा के बाद उधारी बढ़ाने की घोषणा ने निकट भविष्य में ब्याज दरों में कमी किए जाने की संभावना को खत्म कर दिया है। इसकी वजह से अर्थव्यवस्था को पटरी पर आने में भी समय लग सकता है।

कैसे काबू में आएगा घाटा

अंतरराष्ट्रीय ब्रोकरेज फर्म की रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली चार लाख 92 हजार करोड़ रुपये की उधारी के साथ वित्तीय घाटे को 3.2 फीसदी के लक्ष्य तक सीमित रखने में कामयाब होंगे। वह इस काम को कैसे करते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा। पिछले दो महीने से जीएसटी की वसूली में गिरावट चिंता का विषय है। इसकी भरपाई करने के लिए ही सरकार को उधारी बढ़ानी पड़ी है।

अगला बजट कैसा होगा

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 के आम चुनाव से पहले आने वाले 2018-19 के बजट में ग्रामीण खर्च में बढ़ोतरी की उम्मीद है। इसके अलावा इस में घर खरीदारों के लिए प्रोत्साहन और आयकर सीमा में छूट जैसी घोषणाएं शामिल की जा सकती हैं। कॉरपोरेट टैक्स में एक फीसदी की कमी किए जाने की भी संभावना है।  

सरकार कैसे लेती है उधार

केंद्र सरकार ने 27 दिसंबर को अतिरिक्त उधारी उठाने की घोषणा की है। सरकार अपनी दिनांकित प्रतिभूतियों को बेचकर बाजार से उधार जुटाती है। इन प्रतिभूतियों की परिपक्वता अवधि पांच साल की होती है।

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