भारत में अलग अलग जगह अरबों रुपए की दौलत छुपी है। लेकिन ये खजाने अभी भी रहस्य हैं। इन खजानों में नादिर शाह का खजाना, स्वर्ण भंडार गुफा और पद्मनाभस्वामी मंदिर का चेंबर-बी भी शामिल है।
जयपुर के राजा मानसिंह मुगल शासक अकबर के सेनापति और नवरत्नों में से एक थे। ऐसा माना जाता है कि 1580 में अफगान विजय के बाद उन्होंने अकबर को लूट में हासिल खजाने का हिस्सा नहीं दिया और उसे जयगढ़ किले में छिपा दिया था। इस बात की पुष्टि इस बात से भी मिलती है कि इंदिरा गांधी ने आपातकाल के दौरान इसे खोजने का आदेश दिया था। हालांकि, सरकारी रिपोर्ट में इसे व्यर्थ का खोज करार दिया था। लेकिन, विपक्ष ने आरोप लगाया कि उस खजाने को पीएम आवास पहुंचाया गया। इसके लिए दिल्ली-जयपुर हाईवे को आम लोगों के लिए 6 महीने के लिए बंद कर दिया गया था।
दिल्ली से 150 किमी दूर राजस्थान के अलवर जिले में मुगल का खजाना है। ऐसी मान्यता है कि मुगल शासक जहांगीर अपने निर्वासन के समय यही पर शरण ली थी। उन्होंने अपना खजाना यहीं पर स्थित किले में छिपाया था, जिसका बहुत बड़ा हिस्सा अभी भी यही पर है। मुगल सम्राज्य में शामिल होने से पहले भी अलवर काफी संपन्न राज्य था। एक वक्त यहां कप पन्ने से बनते थे।
केरल के श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर को अंतरराष्ट्रीय पहचान तब मिली जब सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जून, 2011 में इसके एक तहखाने को खोला गया। जिसमें 22 बिलियन डॉलर (2200 करोड़ डॉलर) का खजाना मिला। इसमें सभी तरह के गोल्डेन ज्वैलरी, कीमती पत्थर, मूर्ति, घर में इस्तेमाल होने वाले सोने से बने समान मिले। लेकिन, इस मंदिर के चेंबर-बी को विवादों के कारण नहीं खोला गया है। ऐसा माना जाता है कि चेंबर बी में अरबों की दौलत छिपी हुई है।
बिहार के राजगीर की पहाड़ों में दो गुफाओं के बीच स्वर्ण भंडार गुफा स्थित है। पश्चिमी शिलालेख की वजह से इसे ईसापूर्व तीसरी-चौथी सदी का माना जाता है। माना जाता है कि गुफाओं के बीच से रास्ता सम्राट बिंबिसार के खजाने की ओर जाता है। इस खजाने को पाने के लिए अग्रेजों ने इसे तोप से उड़ाने की कोशिश की थी, लेकिन वे इसमें सफल नहीं हो सके। इस गुफा में एक दरवाजा है जिसमें एक रास्ता गार्ड रुम की ओर और दूसरा रास्ता खजाने की ओर जाता है। मौर्य शासकों के समय बनी इस गुफा की एक चट्टान पर शंख लिपि में इस खजाने के कमरे को खोलने का राज लिखा हुआ है, जिसे अभी तक नहीं पढ़ा जा सका है। भारत का यह बेशकीमती खजाना दक्षिण अफ्रीका के पास डूबा था। ग्रॉसवेनर ईस्ट इंडिया कंपनी का सबसे बड़ा जहाज था। सोने, चांदी से भरा यह जहाज मार्च, 1782 में मद्रास से श्रीलंका होते हुए इंग्लैंड के लिए रवाना हुआ था। जो 4 अगस्त, 1782 को दक्षिण अफ्रीका से 700 मील दूर केपटाउन के पास एक चट्टान से टकरा गया। जहाज पर लदे गुम हुए समान में 26 लाख सोने के सिक्के और 1400 सोने की सिल्ल्यिां, हीरे पन्ने, माणिक और नीलम से भरी हुईं तिजोरियों में से कुछ मिले जबकि जयदातर अभी तक नहीं मिले।
नादिर शाह ने साल 1739 में भारत पर आक्रमण किया और 50 हजार सैनिकों के साथ दिल्ली में घुसा था। इस दौरान उसने भारी लूटपाट की थी। नादिर शाह ने करोड़ों सोने के सिक्के, हीरे-जवाहरात से भरी बोरियां, पवित्र तख्त -ए-तौर (जो अभी ईरान में है) और विख्यात कोहिनूर हीरा लूटा जो अभी ब्रिटिश राजमुकुट में जड़ा है। लेकिन, नादिर शाह के इस दौलत को अहमद शाह ने हासिल कर लिया था और उसे संभवत: कंधार के पास हिंदकुश पर्वत के पास छिपा दिया था।
मीर उस्मान अली हैदराबाद के आखिरी निजाम थे। उन्होंने इंग्लैंड के बराबर राज्य पर हुकूमत की। साल 2008 में फोर्ब्स मैग्जीन ने उन्हें 210.8 बिलियन डॉलर यानी(210 अरब डॉलर) की संपत्ति के साथ ऑलटाइम रिचेस्ट पर्सन की लिस्ट में पांचवें पायदान पर रखा था। टाइम मैग्जीन ने 1937 में हैदराबाद निजाम को दुनिया का सबसे धनी आदमी बताया था।
कहा जाता है कि उनका खजाना हैदराबाद स्थित कोठी और महल के नीचे दबा हुआ है, जहां उन्होंने अपने जीवन का ज्यादातर समय बिताया। हालांकि, उनके संपत्ति का सही लेखा-जोखा किसी के पास नहीं है। दुनिया के सबसे बेहतरीन हीरों का खनन आंध्र प्रदेश के कृष्णा नदी के किनारे कोल्हापुर में हुआ था। प्राचीन गोलकोंडा राज्य का हिस्सा कृष्णा और गुंटूर जिले में है। ऐसा माना जाता है कि आज भी यहां हीरे की बहुत बड़ी तादाद मौजूद है। दुनिया का मशहूर कोहिनूर हीरा भी यहीं पाया गया था।
यह मंगलोर से 135 किमी और उडूपी से 80 किमी की दूरी पर कर्नाटक के पश्चिमी घाट कोल्लूर के नजदीक स्थित है। पुजारियों के मुताबिक नाग का चिन्ह होने की वजह से मंदिर के नीचे बहुत बड़ा खजाना दबा हुआ है। ये नाग ही मंदिर को बाहरी ताकतों से बचाता है। इसके अलावा मुकम्बिका मंदिर के पास करीब 100 करोड़ रुपए के गहने हैं। अगर ये सब खजाने निकाल लिए जाएं तो भारत दुनिया में सबसे शक्तिशाली देश बन सकता है।