रौबदार आवाज में हुक्म चलाने वाले अफसरों को अब हाथ जोड़कर जनता के बीच जाना पड़ रहा है। यह लड़ाई सरहद पर लड़ी जाने वाली लड़ाई से बिल्कुल अलग तो है ही, इसके दांव-पेंच व नियम भी अलग हैं। ऐसे में इस जंग में कौन मोर्चा मारता है, यह 11 मार्च को ही पता चलेगा। ऐसा शायद पहली बार होगा कि जनरल, ब्रिगेडियर व कैप्टन एक साथ सियासी मैदान में कूदे हों।
पटियाला शहरी हलका सबसे हॉट सीट बन गई है। यहां पूर्व थल सेना अध्यक्ष जनरल जेजे सिंह व कांग्रेस के कैप्टन अमरिंदर सिंह आमने-सामने होंगे। कैप्टन जहां सियासत के पुराने माहिर हैं, वहीं जनरल सेना के सबसे बड़े पद से रिटायर हुए हैं।
शहीद भगत सिंह नगर (नवांशहर) के बलाचौर से आम आदमी पार्टी ने ब्रिगेडियर राज कुमार को अपना प्रत्याशी बनाया है। वह मुंबई हमले में जिंदा पकड़े गए एकमात्र आतंकी अजमल कसाब से पूछताछ चुके हैं। सियायत के मैदान में एकदम नए हैं।
तरनतारन जिले की खेमकरण सीट से आप ने शौर्य चक्र विजेता कैप्टन ब्रिकमजीत सिंह को उम्मीदवार बनाया है। वह एक्स सर्विसमैन विंग के कन्वीनर रह चुके हैं। इसके अलावा कैप्टन गुरविंदर सिंह कंग को आप ने बाघापुराना (मोगा) से मैदान में उतारा है। वह कमर्शियल पायलट रह चुके हैं। सियासत की इस लड़ाई में कूद चुके सेना के सूरमाओं ने मोर्चाबंदी तेज कर दी है।
जनरल जेजे सिंह: पहले सिख सेना अध्यक्ष (पटियाला शहरी, शिअद)
पूर्व थल सेना अध्यक्ष जनरल जोगिंदर जसवंत सिंह (71) का जन्म 17 सितंबर, 1945 को बहावलपुर (अब पाकिस्तान में) में हुआ। 1961 से 30 सितंबर, 2007 तक सेना में रहे। 27 नवंबर, 2004 को देश के 22वें थल सेना अध्यक्ष बने। वह भारतीय सेना का नेतृत्व करने वाले पहले सिख सैन्य अफसर भी रहे। चंडीमंदिर स्थित सेना की वेस्टर्न कमांड से सेनाध्यक्ष बनने वाले वह 11वें अफसर रहे, जो इस पद तक पहुंचे। उनके पिता जसवंत सिंह मारवाह लेफ्टिनेंट कर्नल रहे। तीन पीढिय़ों से उनका परिवार सेना में है।
राजनीति में क्यों: जनरल जेजे सिंह का कहना है, मैं फौजी हूं और फौजी कभी आराम नहीं करता। रिटायर होने के बाद ज्यादा महसूस किया कि बहुत सी चीजों को बदलने की जरूरत है। यहां भी सैनिक की तरह ड्यूटी निभाऊंगा।
कैप्टन अमरिंदर सिंह: राजनीति के पुराने खिलाड़ी (पटियाला शहरी, कांग्रेस)
कैप्टन अमरिंदर सिंह वर्तमान में पंजाब कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा हैं । 1980 से राजनीति में हैं। पूर्व मुख्यमंत्री व वर्तमान में कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रधान भी हैं। अमृतसर लोकसभा सीट से इस्तीफा दे चुके हैं। इस सीट पर उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को हरा चुके हैं। एलान कर चुके हैं कि यह उनका आखिरी विधानसभा चुनाव है। 11 मार्च, 1942 को जन्मे कैप्टन पटियाला राजपरिवार से संबंध रखते हैं। 2002 से लेकर 2007 तक राज्य के सीएम रह चुके हैं।
राजनीति में क्यों: राजनीति में आने का एक ही उद्देश्य था कि पंजाब की समस्याओं को जड़ से खत्म कर सकूं। पहले कार्यकाल में काफी हद तक कामयाब भी रहा, लेकिन अभी बहुत करना बाकी है।
ब्रिगेडियर राज कुमार: गुज्जर समुदाय में बड़ा चेहरा। (बलाचौर, आप)
शहीद भगत सिंह नगर (नवांशहर) के बलाचौर से आप के प्रत्याशी बनाया है। ब्रिगेडियर राज कुमार ने नवंबर 2008 के मुंबई हमले में पकड़े गए एकमात्र आतंकवादी अजमल कसाब को इंटेरोगेट किया था। उन्होंने सेवानिवृत्त होने के बाद 2015 में आम आदमी पार्टी ज्वाइन की। वह गढ़शंकर क्षेत्र से संबंध रखते हैं, लेकिन काफी समय से परिवार सहित बलाचौर में ही सेटल हो गए हैं। केजरीवाल की विचारधारा से प्रभावित होकर फरवरी 2016 में राजनीति में आए। गुज्जर समुदाय से संबंध रखते हैं।
राजनीति में क्यों : मुझे समाज सेवा करने से सकून मिलता है। युवाओं को सेना में भर्ती करवाने के लिए फ्री ट्रेङ्क्षनग देकर तैयार कर रहा हूं। कई दर्जन युवक सेना में भर्ती हो चुके हैं। सियासत में फैले भ्रष्टाचार व सिस्टम में सुधार लाने के लिए इस फील्ड में आया हूं। लोगों के सहयोग से सुधार करेंगे
कैप्टन ब्रिकमाजीत सिंह: शौर्य चक्र विजेता। खेमकरण (आप)
बाबा दीप सिंह जी के जन्म स्थान गांव पहूविंड में 24 दिसंबर 1968 को जन्मे बिक्रमाजीत सिंह को 1990 में आतंकियों के खिलाफ चलाए विशेष अभियान के चलते शौर्य चक्र से निवाजा गया। 1995 में सियासत में आए। वर्ष 2002 में कैप्टन अमरिंदर सिंह जब पंजाब के मुख्यमंत्री बने, तो कैप्टन बिक्रमाजीत सिंह उनके ओएसडी रहे। वर्ष 2012 में खेमकरण से शिअद प्रत्याशी प्रो. विरसा सिंह वल्टोहा से हाथ मिला लिया।
बाद में आप में शामिल हो गए। ब्रिकमाजीत सिंह आम आदमी पार्टी एक्स सर्विसमैन विंग के कन्वीनर रह चुके हैं। शहीद बाबा चैरिटेबल ट्रस्ट भी चलाते हैं। बॉर्डर एरिया में अपने सामाजिक कार्यों के लिए जाने जाते हैं। 47 वर्षीय कैप्टन बीए ऑनर्स हैं।
राजनीति में क्यों : आतंकियों और दुश्मन मुल्क के साथ जब लोहा लेते हैं, तो पता होता है कि लड़ाई आमने-सामने की है, लेकिन सियासतदानों में राजनीतिक को इतना बदनाम कर दिया है कि इसमें अपना कौन, बेगाना कौन मालूम नहीं होता। आप के आने से साफ किरदार वाले लोग सियासत में कूद रहे हैं। खेमकरण की गंदगी को मिटाने को मैदान में उतरा हूं
कैप्टन गुरविंदर सिंह कंग, कमर्शियल पायलट। बाघापुराना (आप)
कैप्टन गुरबिंदर सिंह कमर्शियल पायलट रहे हैं। 62 वर्षीय कंग बीएससी हैं और आप के किसान व मजदूर विंग के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। कीटनाशक घोटाले को लेकर कृषि मंत्री तोता सिंह को घेरते रहे हैं। प्रदेश में भर में इसके घोटाले के खिलाफ हुए प्रदर्शनों का नेतृत्व करते रहे हैं। फिरोजपुर जिले से संबंध रखते हैं, इसलिए उन्हें शुरुआत में स्थानीय आप नेताओं का विरोध भी ङोलना पड़ा। करीब दो महीने पहले उन्होंने आप ज्वाइन की और अब बाघापुराना से मैदान में हैं।
राजनीति में क्यों : भारतीय सेना में रहते हुए देश की सेवा कर अब समाज के हर वर्ग की सेवा को राजनीति के माध्यम से अपना लिया है। चुनौतियां बेशक आर्मी जितनी नही है, लेकिन दस वर्षो से सत्ता पक्ष से दुखी लोगों को राहत दिलाने के लिए मैंने यह बीड़ा उठाया।