न कोई बैंडबाजा और न ही कोई तामझाम। गांव में ही घर के बाहर लड़का-लड़की ने एक-दूसरे को जयमाला पहनाई। इसके बाद घर में ही पंडित ने दोनों के फेरे पढ़वाकर उन्हें जीवन साथी बना दिया। इस दरम्यान उपस्थित घरातियों और बारातियों को सिर्फ चाय पिलाई गई।ऐसी सादगीपूर्ण शादी हुई जहांगीराबाद के गांव जलीलपुर में, जिसकी पहल खुद दूल्हे के पिता ने की। नोटबंदी से उपजे कैश के संकट के बाद उन्होंने वधू के पिता से बात कर बेहद सादगीपूर्ण ढंग से शादी कराकर मिसाल पेश कर दी।
जहांगीराबाद क्षेत्र के गांव जलीलपुर निवासी बिजेन्द्र सिंह ने अपने बेटे दिनेश की शादी जिला जेपीनगर के गांव गुरैठा खादर निवासी कालीचरण की बेटी बबीता के साथ तय की थी। जिस समय शादी तय की गई, उस समय नोटबंदी का फैसला नहीं हुआ था।
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