पहले न्य़ूक्लियर बम. फिर हाइड्रोजन बम और अब केमिकल बम. जी हां, बमों के शौकीन उत्तर कोरिया के तानाशाह मार्शल किम जोंग उन का ये शौक पता नहीं कब और कहां जाकर खत्म होगा? अभी हाइड्रोजन बम के परीक्षण से दुनिया उबर भी नहीं पाई है कि अब नई खबर आ गई है. खबर ये कि उत्तर कोरिया ने केमिकल बम भी बना लिया है. अमेरिका और जापान का तो पता नहीं मगर पड़ोसी मुल्क दक्षिण कोरिया को किम के हाईड्रोजन बम से ज़्यादा केमिकल बम से डर लग रहा है, क्योंकि किम का ये केमिकल बम सिर्फ मारेगा नहीं बल्कि बीमार करके और तड़पा-तड़पा के मारेगा.
इतना तो तय है कि नॉर्थ कोरिया के मार्शल किम जोंग उन को धमकी देकर तो डराया नहीं जा सकता.. वरना ऐसा न होता कि जब जब अमेरिका उसे धमकी देता तब तब वो कुछ ऐसा करता कि पूरी दुनिया हिल जाती. अमेरिका ने पहली बार डराया तो उसने मिसाइल टेस्ट किए.. फिर डराया तो परमाणु बम के टेस्ट किए.. और डराया तो उसने हाइड्रोजन बम का टेस्ट करके ज़लज़ला ला दिया.. दुनिया ने सोचा अब इसके आगे हालात और क्या खराब हो सकते हैं.. मगर एक फिर उसने अमेरिका की धमकी का ऐसा जवाब दिया कि दुनिया फिर बगले झांकने लगी है..
सामने आया है किम का सबसे ‘विनाशक’ प्लान. मार्शल किम बना रहा है ‘बीमारी’ बम. ‘प्लेग-चेचक’ से करेगा हमला.दुनिया पर ‘महामारी अटैक’ का ख़तरा मंडरा रहा है. मार्शल किम जोंग उन ने अब ऐसा हथियार तैयार कर लिया है कि बिना बम-बारूद के पूरी इंसानियत को वो मौत की नींद सुला सकता है. किम का ये बम जब फूटेगा तो कोई चेचक से मरेगा, तो कोई हैजे से. किसी को प्लेग ले डूबेगा तो कोई टाइफाइड की वजह से दम तोड़ देगा. क्योंकि इस बार नॉर्थ कोरिया में जो तैयार हुआ है वो है ‘बीमारी बम’.
किम के इस नए कारनामे का खुलासा करने वाली अमेरिकी थिंकटैंक बेल्फर सेंटर की सनसनीखेज़ रिपोर्ट ने पूरी दुनिया की नींद उड़ा दी है. इस रिपोर्ट के मुताबिक मार्शल किम जोंग उन ने न सिर्फ न्यूक्लियर बम बना लिया है बल्कि बॉयोकेमिकल बम भी बना लिया है. जो फटने के बाद प्लेग, चेचक जैसी भयंकर बीमारियों से महामारी मचा सकेगा.
उत्तर कोरिया की हथियारों से जुड़ी टीम में काम कर चुके लोगों के बयानों के आधार पर थिंकटैंक बेल्फर सेंटर कि ये रिपोर्ट तैयार की गई है. जिसमें साफ कहा गया है कि नॉर्थ कोरिया में ये काम काफी अरसे से हो रहा है. मगर कोरिया के लिए बॉयोकेमिकल वेपन नया नहीं है. कोरिया युद्ध के बाद 1950 और 1953 के बीच हजारों लोगों की मौत हैजा, टाइफस, टाइफाइड और चेचक के प्रकोप से हो गई थी. जिसके लिए अमेरिका के जैविक हथियारों को जिम्मेदार ठहराया गया था.
अमेरिका समेत संयुक्त राष्ट्र की तमाम पाबंदियों और चेतावनियों के बावजूद नॉर्थ कोरिया अब परमाणु हथियारों के साथ ही जैविक हथियार विकसित कर रहा है. उत्तर कोरिया के इस नए बीमारी बम दुनिया की चिंता बढ़ा दी है. रिपोर्ट में उत्तर कोरिया के पूर्व राजनयिक ताए योउंग-हो के हवाले से कहा गया कि उत्तर कोरिया ने 1960 के दशक में ही केमिकल और जैविक हथियार विकसित करने का काम शुरू कर दिया था.
मलेशिया में फरवरी में किम जोंग-उन के भाई किम जोंग-नाम की घातक नर्व एजेंट VX के जरिए हत्या के बाद ये आशंका काफी गहरा गई थी कि ये घातक नर्व एजेंट उत्तर कोरिया के ही बायो-टेक्निकल इंस्टीट्यूट से आया था. उत्तर कोरिया का रिसर्च सेंटर भी उत्तर कोरिया की सेना ही चलाती है. तानाशाह किम जोंग उन इस इंस्टीट्यूट में हमेशा आता रहता है. जब साल 2015 में किम जोंग-उन ने इस रिसर्च सेंटर का दौरा किया था, तो उसकी तस्वीर भी सामने आई थी.
दक्षिण कोरिया की खुफिया एजेंसी का मानना है कि जैविक हथियार विकसित करने के लिए उत्तर कोरिया में कम से कम तीन बायोलॉजिकल हथियार प्रोडक्शन यूनिट हैं. जिससे कई रिसर्च सेंटर भी जुड़े हुए हैं, जो जैविक हथियारों को विकसित करने की दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं. रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि उत्तर कोरिया कई घातक बीमारियों को फैलाने वाले जैविक हथियार बना रहा है. इनको अमेरिका प्लेग, ऐंथ्रेक्स, स्मॉलपॉक्स और रक्तस्रावी बुखार की तरह घातक मान रहा है. लिहाज़ा अब अमेरिका समेत पूरी दुनिया की निगाहें उत्तर कोरिया के परमाणु हथियार कार्यक्रम के अलावा जैविक हथियारों पर भी गड़ गई है.