देश भर में मौजूद लाखों बैंक कर्मचारियों ने हड़ताल पर जाने की धमकी दी है। नोटबंदी के बाद ओवरटाइम करने वाले कर्मचारियों को अभी तक उनका ओवरटाइम का बकाया नहीं मिला है। पब्लिक सेक्टर बैंकों में काम कर रहे कर्मचारियों के यूनियन ने कहा है कि वो इस मसले को लेकर के कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाने को तैयार हैं, अगर बैंकों ने उनका बकाया नहीं दिया।
8 नवंबर को बंद किए थे 500 और 1000 के नोट
केंद्र सरकार ने 8 नवंबर 2016 को 500 और 1000 रुपये के करेंसी नोट का प्रचलन बंद कर दिया था। इससे देश भर में चल रहे 86 फीसदी से अधिक करेंसी नोट बेकार हो गए थे। लाखों की संख्या में लोग तीन महीने तक बैंकों में अपने नोट बदलने के लिए आए थे, जिससे काम काफी बढ़ गया था।
बैंक कर्मचारियों को इस दौरान प्रतिदिन 14 घंटे से अधिक काम करना पड़ा और उनकी छुट्टियां भी कैंसिल कर दी गई थीं। ज्यादातर कर्मियों को 11 महीने से अधिक का समय हो गया है, जिन्हे ओवरटाइम का पैसा नहीं मिला है। पब्लिक सेक्टर बैंकों में 8 लाख से अधिक कर्मचारी काम कर रहे हैं। फिलहाल 4 लाख से अधिक कर्मचारी ऐसे हैं, जिनका ओवरटाइम का पैसा बकाया है।
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ओवरटाइम करने पर ये है नियम
पब्लिक सेक्टर बैंक में अगर कोई कर्मचारी ओवरटाइम करता है, तो उसे सैलरी के हिसाब से 100 से 300 रुपये प्रति घंटे के बीच मिलेंगे। इस हिसाब से बैंकों को करोड़ों रुपये की राशि इस मद में खर्च करनी पड़ेगी। ऑल इंडिया बैंक कर्मचारी संगठन के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने हिंदुस्तान टाइम्स से बात करते हुए कहा कि, हमने सरकार को इस मामले से अवगत करा दिया है।
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अगर बैंकों ने हमारी मांग नहीं मानी तो फिर हम हड़ताल के साथ-साथ कानूनी कार्रवाई भी करेंगे। बैंक यूनियनों के मुताबिक, किसी भी बैंक ने कर्मचारियों के ओवरटाइम को पूरी तरह से नहीं दिया है। इस मामले को बैंक यूनियन ने वित्त मंत्री अरुण जेटली के समक्ष भी उठाया था और श्रम मंत्रालय के साथ अगली मीटिंग में इस पर बात की जाएगी।