जीएसटी काउंसिल ने जीएसटी लागू होने के बाद सिगरेट पर लगने वाले टैक्स की दर पहले से कम होने के चलते मैन्युफैक्चरर्स को जो फायदा (विंडफॉल गेन) हो रहा था उसको वापस लेने के लिए सेस बढ़ा दिया है। यह बात वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को कही। 
पीक गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) यूं तो 28 पर्सेंट है और इस पर 5 पर्सेंट ऐड वैलोरम सेस भी लागू है, इसलिए अब फिक्स्ड सेस में 485 से 792 रुपये प्रति एक हजार सिगरेट की बढ़ोतरी की गई है। सेस बढ़ने से सरकार को टैक्स के तौर पर 5,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिलेगा, जो सेस नहीं बढ़ाए जाने पर सीधा मैन्युफैक्चरर को चला जाता। यह बात जेटली ने विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए काउंसिल की इमर्जेंसी मीटिंग के बाद संवादताओं से कही।
एयरटेल का आज तक का सबसे बड़ा ऑफर, खुशी से झूम उठेगे आप…
जीएसटी काउंसिल ने मई में सिगरेट के लिए 28 पर्सेंट का टॉप रेट तय किया था। इस पर 5 फीसदी ऐड वेलोरम सेस लगाया गया था और 65 मिलीमीटर तक के फिल्टर और नॉन-फिल्टर सिगरेट पर 1,591 रुपये प्रति हजार स्टिक फिक्स्ड सेस तय किया गया था। अलग-अलग लंबाई वाले सिगरेट के लिए सेस रेट 2,126 से 4,170 रुपये के बीच था।हालांकि, यह रेट जीएसटी टैक्स से पहले के दौर से कम था और मैन्युफैक्चरर्स के पास रेट में कटौती कर कन्ज्यूमर्स के पास इसका फायदा पहुंचाने या फायदा खुद रखने का विकल्प था। सिगरेट मैन्युफैक्चरर्स ने बाद वाला विकल्प चुना। जेटली ने कहा कि इसे दुरुस्त करने के लिए जीएसटी काउंसिल ने फिक्स्ड सेस को 485 रुपये प्रति हजार स्टिक से बढ़ाकर 792 रुपये प्रति हजार स्टिक कर गिया है। हालांकि, कन्ज्यूमर प्राइस में बदलाव नहीं होगा, क्योंकि टैक्स में बढ़ोतरी से मैन्युफैक्चरर्स का वह अतिरिक्त फायदा खत्म होगा, जो वे कमा रहे थे।
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal