चाणक्य को आचार्य चाणक्य के नाम से भी जाना जाता है. चाणक्य की चाणक्य नीति आज भी उपयोगी है. चाणक्य की गिनती भारत के श्रेष्ठ विद्वानों में की जाती है. आचार्य चाणक्य का संबंध अपने समय के विश्व प्रसिद्ध तक्षशिला विश्चविद्यालय से था. चाणक्य यहां पर विद्यार्थियों को विभिन्न विषयों की शिक्षा प्रदान किया करते थे. चाणक्य के बारे में ऐसा कहा जाता है कि उन्हें अर्थशास्त्र, राजनीति शास्त्र, कूटनीति शास्त्र आदि विषयों को गहरा ज्ञान था.
चाणक्य नीति के अनुसार विद्यार्थियों को अपनी शिक्षा पर विशेष ध्यान देना चाहिए. विद्यार्थी जीवन काल बहुत महत्वपूर्ण है. चाणक्य के अनुसार विद्यार्थी जीवन काल में इन बातों को नहीं भूलना चाहिए-
अनुशासन- चाणक्य नीति के अनुसार विद्यार्थियों के लिए अनुशासन सबसे अहम अहम है. अनुशासन की भावना जीवन में समय के महत्व को बताती है. समय की कीमत जो नहीं समझते हैं वे अपने लक्ष्य को कभी प्राप्त नहीं कर पाते हैं. अनुशासन की भावना विद्यार्थियों को समय पर लक्ष्य को पाने के लिए प्रेरित करती है.
स्वास्थ्य- चाणक्य नीति के अनुसार विद्यार्थी जीवन में सेहत पर विशेष ध्यान देना चाहिए. स्वस्थ्य शरीर में ही स्वस्थ्य मस्तिष्क निवास करता है. सेहत की रक्षा करनी चाहिए. उत्तम स्वास्थ्य सफलता में विशेष भूमिका निभाता है. जो लोग स्वास्थ्य के महत्व को नहीं समझते हैं उन्हे भविष्य निर्माण में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.
नशा मुक्त- चाणक्य नीति के अनुसार हर प्रकार के नशे से विद्यार्थियों को दूर रहना चाहिए. नशा करने से सेहत और मस्तिष्क सभी का नाश होता है. विद्यार्थी जीवन काल में एक एक पल का महत्व होता है. नशे की गिरफ्त में आने से हर चीज का नाश होता है. व्यक्ति प्रतिस्पर्धा में पिछड़ जाता है. लक्ष्य उससे दूर होने लगते हैं. बाद में अवसाद, रोग, कुंठा ऐसे लोगों को घेर लेती हैं, जिस कारण जीवन व्यर्थ लगने लगता है. इसलिए नशा नहीं करना चाहिए.