प्रदेश में डेंगू के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। वहीं, सरकारी तंत्र इस पर रोक लगाने में नाकाम साबित हुआ है। पर स्थिति ये है कि डेंगू की रोकथाम की चर्चा छोड़ अब मच्छर को ही षडयंत्रकारी साबित किया जा रहा है।
जी हां, सेवा सप्ताह के अंतर्गत शनिवार को कोरोनेशन अस्पताल पहुंचे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कुछ ऐसा ही बयान दिया है। मीडिया से अनौपचारिक बातचीत में उन्होंने कहा कि डेंगू के मच्छर सरकार के घर में पैदा नहीं होते, मैं भी बोल सकता हूं कि विपक्ष ने षड्यंत्र के तहत डेंगू मच्छर शहर में छोड़े हैं। इतना ही नहीं उन्होंने मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के एक बड़े नेता पर अप्रत्यक्ष रूप से हमला करते हुए यह तक कह दिया कि पीसीसी अध्यक्ष प्रीतम सिंह के आसपास ही सबसे बड़ा मच्छर घूम रहा है, जिस वजह से वह अब तक अपने संगठन की कार्यकारिणी तक घोषित नहीं कर पाए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रीतम सिंह अच्छे व्यक्ति हैं, लेकिन परेशानी यह कि वह किसी के कहने पर कुछ भी बोल देते हैं। डेंगू की रोकथाम व बचाव के संदर्भ में सिस्टम की व्यवस्थाओं के सवाल पर कहा कि सरकार सचिवालय स्तर पर लगातार मॉनीटरिंग कर रही है। अस्पतालों में डेंगू के मरीजों को समुचित उपचार मिल रहा है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा डेंगू के मरीजों के गलत आंकड़े प्रस्तुत करने के सवाल पर सीएम ने चुप्पी साध ली। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में दो बच्चों से अधिक वाले व्यक्ति के चुनाव लड़ने पर रोक के फैसले पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस फैसले का राज्यभर में स्वागत हो रहा है। इससे चुनाव में युवाओं की भागीदारी बढ़ेगी। हमने वही निर्णय लिया, जो हमारी नीति है। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री और मंत्रियों के आयकर खुद भरने के फैसले के सवाल पर सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि उन्हें अभी इस बारे में जानकारी मिली है। राज्य में भी इसको दिखवाया जाएगा। इस दौरान महापौर सुनील उनियाल गामा, सीएमएस डॉ. बीसी रमोला, वरिष्ठ फिजीशियन, डॉ. एनएस बिष्ट, डॉ. एसएन सिंह आदि मौजूद रहे।
सीएम के बयान पर कांग्रेस का पलटवार
कांग्रेस उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने मुख्यमंत्री के बयान को अशोभनीय बताया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को पद की गरिमा का ही अंदाजा नहीं है। तभी वे इस तरह के बचकाने बयान दे रहे हैं। प्रीतम सिंह एक वरिष्ठ नेता हैं और विधानसभा में उनके साथ सदस्य भी हैं। ऐसे में इस तरह के अनर्गल बयान सीएम को शोभा नहीं देते।