नई दिल्ली: भारत के महान विकेटकीपर सैयद किरमानी का मानना है कि युवा रिषभ पंत को घरेलू क्रिकेट में ज्यादा खेलने देना चाहिये और पार्थिव पटेल की तरह उसका हश्र नहीं होना चाहिए जिसे महज 17 बरस की उम्र में राष्ट्रीय टीम में उतार दिया गया. किरमानी ने कहा ,‘‘ हर कोई सचिन तेंदुलकर नहीं है जो 16 साल की उम्र में सफल हो जाए. हर कोई ऐसा नहीं है.किरमानी की चिंता, पार्थिव जैसा हश्र न हो इस खिलाड़ी का भी

पार्थिव को इतनी जल्दी नहीं उतारना चाहिए था. रिषभ प्रतिभाशाली है लेकिन उसे पूरी तरह तराशना चाहिए. उसका हश्र पार्थिव की तरह नहीं होना चाहिए.’’ पार्थिव ने 2002 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया और 16 साल में सिर्फ 65 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं. इनमें 25 टेस्‍ट, 38 वनडे और 2 टी20 मुकाबले शामिल हैं. कम उम्र में अंतरराष्‍ट्रीय क्रिकेट में उन्‍हें कामयाबी तो मिली, लेकिन एक्‍सपर्ट्स का मानना है कि विकेटीकीपिंग में उनकी तकनीकी खामियों ने उनका करियर सीमित कर दिया. फिर महेंद्र सिंह धोनी की मौजूदगी ने पार्थिव के लिए मुश्किलें बढ़ा दीं.

महेंद्र सिंह धोनी के बाद भारत के अगले विकेटकीपर माने जाने वाले पंत चार टी20 मैचों में प्रभावित नहीं कर सके हैं. उन्‍होंने 24.33 की औसत से 73 रन ही बनाए हैं. आतिशी बल्‍लेबाजी के लिए मशहूर पंत का स्‍ट्राइक रेट भी 106 के करीब ही है. किरमानी ने कहा ,‘‘ वनडे क्रिकेट के दबदबे और जॉन राइट के भारत का कोच बनने के बाद नतीजे सर्वोपरि हो गए और तकनीक हाशिये पर चली गई. विकेटकीपरों को कोई मार्गदर्शन नहीं मिल सका और अचानक ऐसे बल्लेबाजों की जरूरत पड़ गई जो विकेटकीपिंग भी कर लेते हों.’’