कानपुर में पशु प्रेम का अनोखा उदाहरण देखने को मिला हैl जहां ग्राम प्रधान की जूली नाम की (कुतिया) की मौत पर एक परिवार में मातम छा गया, लेकिन गांव के ही दबंगों ने जूली को जानबूझकर कार से कुचल दिया l जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई । इस बात से नाराज प्रधान ने जूली का पोस्टमॉर्टम कराया और और दबंगों के खिलाफ घाटमपुर थाने में एफआईआर दर्ज कराई हैl एफआईआर दर्ज होने के बाद से पिग फार्म के मालिक दबंग फरार हैl वहीं, ग्राम प्रधान के परिवार में दो दिनों से चूल्हा तक नहीं जला है,जूली की मौत से आहत इस परिवार ने उसकी समाधि घर के बाहर बने खेत में बनवाई है l
घाटमपुर थाना क्षेत्र के रायपुर गाँव में रहने वाले ग्राम प्रधान पुत्तन मिश्रा का पशुओ के प्रति अनोखा प्रेम हैl उनके परिवार में पत्नी गुड्डी मिश्रा और एकलौते बेटे मुकेश के साथ रहते है l जानकारी के मुताबिक बीते 23 दिसंबर 2016 को गाँव में ही पिग फार्म चलाने वाले विनय शुक्ला और उसके साथी विष्णु ने लहराते हुए कार लाये जब जूली उनको भोकने लगी तो उन्होंने ने कार रोक ली ,इसके बाद उन्होंने जूली पर चढ़ा दी और कुचलते हुए निकल गए। दोनों ही भरपूर नशे में थे विरोध करने पर उन्होंने ने जमकर गाली गलौज किया l
ग्राम प्रधान पुत्तन मिश्रा के मुताबिक 23 दिसंबर की शाम को अपने खेत पर लगे ट्यूबवेल से कुतिया जूली के साथ घर के लिए लौट रहे थेl तभी सामने से विनय शुक्ला अपने साथी विष्णु के साथ कार लहराते हुए आ रहे थे l जब कार लहरा रहे थे इस पर जूली उन्होंने भोकने लगी तो उन्होंने ने कार रोक दी इसके बाद उन लोगो ने जूली पर कार चढ़ा दी l जब इसका विरोध किया तो दोनों नशे की हालत में गाली गलौज करने लगे और उनके परिवार को मारने पीटने के लिए दौड़ने लगे l उन्होंने ने बताया कि विनय शुक्ला और विष्णु दोनों ही पार्टनरशिप में पिग फार्म का काम करते है l इनके साथ कई अराजक तत्त्व साथ में रहते है और गांव में इनकी दबंगई चलती हैl
जूली की मौत के बाद इसकी सूचना हमने पुलिस को दी और पुलिस और पशु चिकत्सालय से जूली के पोस्टमॉर्टम कराने की गुहार लगाईl 24 दिसंबर को जूली का पोस्टमार्टम डॉ अनिल जायसवाल ने किया ,पोस्टमॉर्टम के बाद घर के बहार बने खेत में गड्ढा खोदकर उसको दफना कर उसकी समाधी बनवा दी है l उन्होंने बताया कि जब से जूली की मौत हुई है मेरी पत्नी और बेटे ने खाना नहीं खाया है बल्कि मेरे घर में चूल्हा तक नही जला है l जूली को बड़े ही प्यार से हमने पाला था जब वह 10 दिन की थी तब उसको लेकर आये थेl उन्होंने ने बताया कि जूली की के हर छह माह में इंजेक्शन लगता था इसके साथ ही अभी वह बीमार हो गई थी तो उसके इलाज में सात हजार रुपये खर्च किया था l
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