देहरादून: प्रदेश में उपखनिज के लॉट आवंटन की प्रक्रिया में बड़ा खेल पकड़ में आया है। खनन लॉटों की नीलामी के लिए आमंत्रित किए गए टेंडर में ऐसी शर्त जोड़ दी गई थी, जिससे पांच हेक्टेयर से कम क्षेत्रफल वाले लॉटों के दरवाजे कंपनियों के लिए खुल गए थे। फाइनेंशियल बिड खोलने से ऐन पहले तकनीकी बिड की जांच में निदेशक खनन विनय शंकर पांडे ने इस खेल को पकड़ लिया और टेंडर प्रक्रिया को निरस्त करने के आदेश जारी कर दिए। वहीं, इस मामले में जांच के आदेश भी दिए गए हैं।
प्रदेश में उपखनिज लॉटों के आवंटन के लिए तकनीकी निविदाएं खोली गई थीं। 99 में से 59 लॉट के लिए पर्याप्त निविदाएं प्राप्त न होने पर वह स्वत: ही निरस्त होने की श्रेणी में आ गईं, जबकि 40 क्षेत्रों के लिए पर्याप्त निविदाएं मिलीं। इसके बाद 20 जनवरी को फाइनेंशियल बिड खोली जानी थी। इससे पहले कि यह प्रक्रिया बढ़ती होती, निदेशक खनन विनय शंकर पांडे ने आवेदकों के दस्तावेजों की जांच की तो पता चला कि पांच हेक्टेयर से कम क्षेत्रफल के लिए भी कंपनियां मैदान में हैं। जबकि पांच हेक्टेयर से कम क्षेत्रफल के लॉट के लिए जिला कैडर के आधार पर स्थायी निवासियों और स्थानीय सोसाइटी को योग्य माना गया था।
प्रारंभिक जांच में निदेशक पांडे ने पाया कि टेंडर में ही ऐसी शर्त जोड़ी गई थी, जिसके आधार पर छोटे लॉटों के लिए भी कंपनियों की राह खुल गई। जबकि 40 में से सिर्फ चार लॉटों के आवेदन ऐसे पाए गए, जो नियम को बाधित नहीं कर रहे थे। लिहाजा, 36 लॉटों की निविदाएं तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दी गईं। इस मामले में निदेशक ने कहा कि यदि यह खामी पकड़ में नहीं आती तो स्थायी निवासियों के हितों पर कुठाराघात हो जाता। यह मामला काफी गंभीर है और इसकी जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी। अब अगले सप्ताह से दोबारा से टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
36 करोड़ सालाना की रॉयल्टी के लॉट
जिन लॉटों की निविदाएं निरस्त की गई हैं, वह सालाना करीब 36 करोड़ रुपये का लॉट हैं। इनका आवंटन पांच साल के लिए किया जाना था। इस अनदेखी के पीछे करोड़ों रुपये के वारे-न्यारे करने की मंशा से भी इन्कार नहीं किया जा सकता।