गुजरात की धूल वाली गलियों में बसे खरघोड़ा गांव में 111 साल पुराना ऐसा बाजार है जो कि अंग्रेजों के जमाने का है। गांव के लोग इसे भारत का सबसे पुराना मॉल कहते हैं।
शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के रूप में बने इस बाजार में 8-10 दुकानें हैं, जोकि व्यवस्थित ढंग से स्थापित हैं। इस बाजार में ना सिर्फ ग्रामीणों की जरूरत का सामान उपलब्ध है, बल्कि यह उनके लिए एक मीटिंग पॉइंट भी है।
सुरेंद्रनगर जिले में स्थित इस बाजार को 1905 में नमक बनाने वाली कंपनी हिंदुस्तान साल्ट्स लिमिटेड ने बनाया था। भारत की आजादी से पहले तक इस कंपनी का संचालन अंग्रेज करते थे। इतना ही नहीं, यहां अंग्रेजों के जमाने का ही एक अस्पताल भी है और यहां अब भी मरीजों का इलाज होता है।
कुछ ऐसा है बाजार का स्वरूप
गांव के इस व्यवस्थित बाजार में एक छत के नीचे 8-10 दुकाने हैं। सभी दुकानें करीने से सजी हैं। दो दुकानों के बीच पर्याप्त जगह दी गई है। दुकानदारों के बैठने के लिए दुकान में ऊंची सीटें बनी हुई हैं। इस बाजार में गांव वालों की जरूरत का लगभग हर एक सामान आसानी से मिल जाता है।
यहां के ज्यादातर बाशिंदे बगल में बनी नमक फैक्ट्री में मजदूर हैं। यहां ग्रोसरी, सब्जियों, कपड़ों से लेकर सायकिल के टायर तक मिल जाते हैं। इस बाजार में ज्यादातर दुकानदारों की दुकाने 25 से 30 साल पुरानी हैं। यहां के शॉपिंग एरिया में एक मीटिंग पॉइंट भी है जहां ग्रामीण इकट्ठा होकर देश—दुनिया की खबरों की चर्चा करते हैं।
हालांकि, ग्रामीणों की शिकायत है कि इस बाजार पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया। इसका कभी रेनॉवेशन नहीं हुआ। यहां दुकानों की छतों को तो बदला गया है लेकिन बाजार के ढांचागत निर्माण में कभी कोई बदलाव नहीं किया गया। इस बाजार का नाम मिस्टर बल्कले के नाम पर रखा गया है, जो कि खरघोड़ा गांव के सॉल्ट रेवन्यू के इंचार्ज हुआ करते थे।
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