आमलकी एकादशी के दिन इस विधि से करें पूजन, जानिए व्रत कथा

हर साल मनाई जाने वाली आमलकी एकादशी इस साल 14 मार्च को मनाई जाने वाली है। आप सभी को बता दें कि 13 मार्च यानी रविवार की सुबह 10 बजकर 21 मिनट पर यह आरंभ हो जाएगी और 14 मार्च यानी कि सोमवार दोपहर 12 बजकर 05 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।  ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं आमलकी एकादशी की पूजा विधि और पौराणिक कथा। 

आमलकी एकादशी की पूजा विधि- इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नहा-धोकर भगवान विष्णु के समक्ष व्रत का संकल्प लें। वहीं उसके बाद आंवले के पेड़ के नीचे भगवान विष्णु की तस्वीर एक चौकी पर स्थापित करें उनकी विधि के अनुसार पूजा करें। अब इसके बाद श्री विष्णु को रोली, चंदन, अक्षत, फूल, धूप नैवेद्य अर्पित करें घी का दीपक जलाएं। वहीं इसके बाद भगवान विष्णु को आंवला अर्पित करें। अब अंत में आंवला एकादशी व्रत कथा पढ़ें या सुनें आरती करें और द्वादशी को स्नान पूजन के बाद किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं उसे अपनी योग्यता के अनुसार दान दें। इसके बाद भोजन ग्रहण करें और अपना व्रत खोल दें। 

आमलकी एकादशी व्रत कथा – पौराणिक कथा के अनुसार ब्रह्मा जी भगवान विष्णु की नाभि से उत्पन्न हुए थे। एक बार ब्रह्मा जी ने स्वयं को जानने के लिए परब्रह्म की तपस्या करनी आरंभ कर दी। उनकी तपस्या से खुश होकर भगवान विष्णु प्रकट हुए। श्री विष्णु को देखते ही ब्रह्मा जी के नेत्रों से अश्रुओं की धारा निकल पड़ी थी। कहा जाता है कि आंसू विष्णु जी के चरणों पर गिरने के बाद आंवले के पेड़ में तब्दील हो गए थे। भगवान विष्णु ने कहा कि आज से ये वृक्ष इसका फल मुझे अत्यंत प्रिय है जो भी भक्त आमलकी एकादशी पर इस वृक्ष की पूजा विधि के अनुसार करेगा, उसके सारे पाप कट जाएंगे वो मोक्ष की ओर अग्रसर होगा। बस, तभी से आमलकी एकादशी का व्रत किया जाता है।

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