उम्र बढ़ने के साथ त्वचा के नीचे स्थित ऊतकों से वसा की मात्रा कम होने लगती है। इसके साथ ही सूर्य की रोशनी और प्रदूषण की वजह से होने वाले नुकसान के कारण रेखाओं और झुर्रियों के साथ त्वचा की चमक खो जाती है जिसके कारण वृद्ध और थके हुए नजर आते हैं। पीआरपी (प्लेटलेट-रीच प्लाज्मा) थेरेपी के जरिये त्वचा की खोई हुई टेक्सचर, टोन और प्राकृतिक चमक वापस पाने में मदद मिलती है।
अपोलो अस्पताल के कॉस्मेटिक प्लास्टिक सर्जन एवं एंड्रोलोजिस्ट अनूप धीर ने कहा कि पीआरपी थेरेपी में त्वचा को नया रूप देने के लिए प्लेटलेट और प्लाज्मा (रक्त के भीतर मौजूद तत्व) की उपचारात्मक शक्ति का इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने कहा कि प्लेटलेट्स रक्त में पाई जाने वाली एक प्रकार की कोशिकाएं हैं। इनमें वृद्धि करने की शक्ति होती है और वे चोट के क्षेत्र में थक्का बनाने में अहम भूमिका निभाती हैं, इसलिए रक्तस्राव रोक देती हैं। प्लाज्मा रक्त का तरल हिस्सा है।
धीर ने कहा कि यह एक साधारण प्रक्रिया है और एक से दो घंटे के वक्त में की जा सकती है। लोकल एनेस्थेटिक क्रीम को चेहरे या जिस भी हिस्से का इलाज किया जाना है, वहां लगाया जाता है और उसे करीब 1 घंटे के लिए छोड़ दिया जाता है। इसी बीच हाथ की बड़ी नसों में से एक में से 10-20 मिली रक्त निकाला जाता है और लाल रक्त कणिकाओं व अन्य में से प्लेटलेट्स एवं प्लाज्मा को अलग करने के लिए अपकेंद्रित किया जाता है।
उन्होंने कहा कि प्लेटलेट और प्लाज्मा युक्त इस फ्लूइड को बहुत ही बारीक सूई का इस्तेमाल कर त्वचा के भीतर डाल दिया जाता है। इससे प्लेटलेट के वृद्धि के कारक और साइटोकींस में तेजी आती है जिससे सुधार की प्रक्रिया को बढ़ावा मिलता है और कोलाजन बनने की प्रक्रिया तेज हो जाती है।
धीर ने कहा कि कोलाजन त्वचा की मदद करता है और बारीक लकीरों और झुर्रियों में सुधार होता है। सुधार की प्रक्रिया से रक्त प्रवाह, त्वचा की टोन और टेक्स्चर बेहतर होता है और त्वचा को सेहतमंद और युवा चमक मिलती है। पीआरपी थेरेपी एक से अधिक बार की जाती है और सर्वश्रेष्ठ परिणाम देने के लिए इसकी सलाह दी जाती है। प्रक्रिया के बाद त्वचा को मामूली रूप से कुछ नुकसान देखने को मिल सकता है। अच्छी तरह सुधार के लिए त्वचा को कुछ दिनों तक सूर्य की रोशनी से बचाना महत्वपूर्ण है। फैक्टर 50 सनब्लॉक क्रीम का इस्तेमाल लाभदायक साबित हो सकता है।