नई दिल्ली 1000 और 500 के नोट बंद होने के 35 दिन बाद भी कालेधन को सफेद करने का धंधा जोरों पर चल रहा है। हैरानी की बात है कि इसमें कुछ बैंकों के कर्मचारी शामिल हैं।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि बैंक के कैशियर व मैनेजर सीधे किसी से संपर्क नहीं करते हैं। इनके बीच में कोई मिडल मैन होता है। सभी आपस में डबल जी (गुलाबी गांधी) शब्द का यूज करते हैं। इसी तरह से कालेधन को सफेद किया जाता है। बैंक के कैशियर व मैनेजर सीधे कस्टमर से संपर्क नहीं करते हैं। इनके बीच में मिडल मैन होता है। उसे कोड वर्ड में असि. मैनेजर बोला जाता है। ये बात करते वक्त डबल जी का प्रयोग होता है। डबल जी यानी गुलाबी गांधी। इसका मतलब है नई करंसी।
जब करंसी एक्सचेंज में परसेनटेंज की बात आती है तो पीस शब्द का यूज करते हैं। अगर एक लाख की ओल्ड करंसी के एवज में 75 हजार की नई करंसी मिलती है तो कहा जाएगा कि 25 पीस आ रहे हैं।
लोगों की परेशानी का फायदा दुकानदार भी उठा रहे हैं। लोग जब ओल्ड करंसी लेकर दुकानदार के पास जाते हैं तो वे 500 के नोट के बदले 300 या 350 का सामान दे रहे हैं। खांडसा रोड पर एक शॉपकीपर ने बताया कि यह नोटबंदी के बाद से चल रहा है। अब ओल्ड करंसी जमा करवाने का समय कम रह गया है तो लोग पुरानी करंसी निकाल रहे हैं। बैंक की लाइन व अन्य परेशानियों को देखते हुए लोग 500 में 300 का सामान ले जाते हैं। इसी प्रकार सिविल लाइन, सदर बाजार व सेक्टर 40 मार्केट के एक दुकानदार ने ओल्ड करंसी का कम मूल्य लगाकर सामान देने की बात स्वीकार की। ग्रामीण एरिया में दो हजार से 20 हजार तक करंसी एक्सचेंज हाथोंहाथ हो जाता है। एक्सचेंज करने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि 30 से 35 फीसदी कमीशन पर काम किया जा रहा है।
कुछ बैंक के चुनिंदा कर्मचारी न केवल अपने रिश्तेदारों की ओल्ड करंसी नियमों को ताक पर रखकर चेंज कर रहे हैं। खुद ही सुबह के वक्त अपनी जेब में रकम लाते हैं फिर लंच में इसे चेंज कर देते हैं। इसके अलावा करंसी एक्सचेंज के मामलों में भी कुछ कर्मचारी शामिल हैं। इस तरह की रिपोर्ट क्राइम ब्रांच के सामने आई हैं। कर्मचारी यह काम लंच के समय और ऑफ टाइम में करते हैं। इसके अलावा छुट्टी के दिन भी ऐसे काम करने की शिकायत पुलिस के पास आई है।