दान, स्नान और उपासना का पर्व है संक्रांति। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर अपनी उत्तरायण गति आरंभ करते हैं। संक्रांति को उत्तरायणी के नाम से भी पुकारा जाता है।
खासकर प्रयाग में संगम तट परइस दिन विशेषतौर पर स्नान किया जाता है। इस दिन सूर्य की उपासना शुभ फल देती है।
सूर्योपनिषद के अनुसार सभी देव, ऋषि-मुनि सूर्य की रश्मियों में निवास करते हैं। मकर संक्रांति के दिन विशेष विधान से सूर्यदेव की आराधना करनी चाहिए। इस दिन सुबह गंगा या किसी भी पवित्र नदी में स्नान कर कमर तक जल के बीच में खड़े हो सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिए।
ध्यान रखें कि अर्घ्य तांबे के लोटे में दें। पात्र को दोनों हाथों से पकड़ कर सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। अर्घ्य के समय सूर्य गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए, जो इस प्रकार है- ऊं आदित्याय विद्महे मार्तण्डाय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात।
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