आप सभी जानते ही हैं इस समय गुप्त नवरात्र चल रहे हैं. ऐसे में आज गुप्त नवरात्रि का तीसरा दिन है. इसके तीसरे दिन त्रिपुरा सुंदरी का पूजन किया जाता है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं त्रिपुरा सुंदरी की कथा. आइए जानते हैं.
माँ त्रिपुरा सुंदरी देवी की कहानी – राजा दक्ष प्रजापति की पुत्री सती भगवान शिव से विवाह करना चाहती थी, लेकिन दक्ष को मंजूर नहीं था, फिर भी सती ने भगवान शिव से ही विवाह कर लिया. एक बार राजा दक्ष ने यज्ञ करवाया, उस यज्ञ में ब्रह्मा, विष्णु, इंद्र और अन्य सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया, लेकिन जान-बूझकर अपने दामाद भगवान शंकर को नहीं बुलाया, माता सती ने इसे भगवान शिव का अपमान माना औहर बहुत दुखी हुई. यज्ञ-स्थल पर पहुंची माता सती ने अपने पिता दक्ष से शिव को आमंत्रित न करने का कारण पूछा, इस पर दक्ष प्रजापति ने भगवान शंकर को अपशब्द कहे, इस अपमान से दुखी होकर सती ने यज्ञ-अग्नि कुंड में कूदकर अपनी प्राणाहुति दे दी, भगवान शंकर को जब इस दुर्घटना का पता चला, तो क्रोध से उनका तीसरा नेत्र खुल गया।