अब सरकारी कंपनियों की जमीन पर बनेंगे शहरी गरीबों के लिए मकान

खुशखबरी: अब सरकारी कंपनियों की जमीन पर बनेंगे शहरी गरीबों के लिए मकान

अगले चुनाव से पहले अफोर्डेबल हाउजिंग को बढ़ावा देने के लिए घाटे में चल रही छह पब्लिक सेक्टर कंपनियों की जमीन का इस्तेमाल करने का सरकार का प्लान है। सरकार ने शहरी गरीबों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए जमीन की पहचान कर ली गई है। सरकारी कंस्ट्रक्शन फर्म एनबीसीसी इस जमीन को डिवेलप करेगी। IDPL, HMT, हिंदुस्तान एंटीबायोटिक्स और तुंगभद्रा स्टील प्रॉडक्ट्स सहित छह सेंट्रल पब्लिक सेक्टर यूनिट्स के पास लगभग 3000 एकड़ जमीन है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने पहचान जाहिर नहीं किए जाने की शर्त पर कहा कि कुछ प्रॉजेक्ट्स को 2022 से पहले पूरा किया जाना है।अब सरकारी कंपनियों की जमीन पर बनेंगे शहरी गरीबों के लिए मकान

आधिकारिक सूत्र ने कहा, ‘हमने ऐसे सभी प्रस्तावों को फास्ट ट्रैक पर डाल दिया है। इन बीमार CPSE की जमीन प्राइम एरिया में हैं। कुछ प्रॉजेक्ट्स में मिक्स्ड यूज वाले होंगे।’ 2015 में लॉन्च इस अभियान का मकसद 2022 तक ‘सबको मकान’ वाली योजना को पूरा करना है। सरकार ने रूरल वेटलिस्ट वालों को अर्बन कोटा में मकान के लिए आवेदन करने की इजाजत देने के लिए पिछले हफ्ते इस स्कीम में संशोधन किया था। NBCC के एग्जिक्यूटिव ने बताया, ‘निकट भविष्य में ऐसे और प्रॉजेक्ट्स आ सकते हैं क्योंकि सरकार ने घाटे में चल रही सभी कंपनियों को बेचने का फैसला किया है।’ 

एनबीसीसी को नुकसान में चल रही कंपनियों की रियल एसेट्स नीलाम के लिए लैंड मैनेजमेंट एजेंसी अप्वाइंट किया गया है। गाइडलाइंस के हिसाब से एजेंसी यह तय करेगी कि जमीन का इस्तेमाल कैसे होना है और यह इंडस्ट्रियल, मैन्युफैक्चरिंग या दूसरे मकसद में किसके इस्तेमाल के लायक है। कुछ बैंकों ने कहा कि सरकार को अफोर्डेबल हाउजिंग पर फोकस करने के बजाय लैंड के मिक्स्ड यूज के बारे में सोचना चाहिए। एक सरकारी बैंक के एग्जिक्यूटिव ने कहा, ‘ऐसे प्रॉजेक्ट्स का लॉन्ग टर्म रेवेन्यू मॉडल हो सकता है।’ 

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी हालिया रिपोर्ट में लिखा था कि शहर की चौहद्दी में समुचित लो कॉस्ट लैंड उपलब्ध नहीं होने, जरूरी क्लीयरेंस मिलने में देरी होने और अप्रूवल प्रॉसेस लंबा खिंचने से अफोर्डेबल हाउजिंग निर्माण की रफ्तार प्रभावित होती है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हाउजिंग सेगमेंट में सबसे ज्यादा बैड लोन दो लाख रुपये तक के स्लैब में है। इस सेगमेंट में पब्लिक सेक्टर बैंकों और हाउजिंग फाइनेंस कंपनियों का बैड लोन फिस्कल ईयर 2017 में कुल 10.4% जबकि फिस्कल ईयर 2016 में 9.8 पर्सेंट था। 

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com