लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश से राज्यसभा की दस सीटों के होने वाले चुनाव में अपने सात बचे प्रत्याशियों के नाम की घोषण कल कर दी। आज वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ सभी प्रत्याशी विधान भवन के सेंट्रल हाल में अपना नामांकन करेंगे। आज नामांकन का अंतिम दिन है। इससे पहले समाजवादी पार्टी से जया बच्चन तथा बहुजन समाज पार्टी से भीमराव अंबेडकर ने अपना नामांकन किया है। राज्यसभा की 58 सीटों के लिए 23 मार्च को चुनाव होगा।
भारतीय जनता पार्टी ने राज्यसभा के लिए प्रत्याशियों के चयन में इस बार कई समीकरणों को साधने की कोशिश की है। भाजपा ने कल 18 प्रत्याशियों की सूची जारी की। इस सूची से ही भाजपा ने योगी आदित्यनाथ सरकार में बड़बोले कैबिनेट मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को कड़ा संदेश दिया है। बीते कई महीने से राजभर अपनी सरकार के खिलाफ बयान दे रहे थे। भारतीय जनता पार्टी ने आठ प्रत्याशियों को उतारकर कई तरह के समीकरण साधने की कोशिश की है।
भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी इस प्रकार हैं-
1- अरुण जेटली : केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश से राज्यसभा का टिकट दिया है। इससे पहले भाजपा ने तब रक्षा मंत्री रहे मनोहर पर्रिकर को यहां से राज्यसभा भेजा था।
2- जीवीएल नरसिम्हा राव : जीवीएल नरसिम्हा राव पार्टी के प्रवक्ता हैं। वह आंध्र प्रदेश से आते हैं जहां पर टीडीपी इस समय विशेष दर्जे की मांग को लेकर केंद्र सरकार से बाहर हो चुकी है। जीवीएल को टिकट देकर भाजपा ने एक तरह से टीडीपी को संदेश देने की कोशिश की है।
3- डॉ. अशोक वाजपेयी : डॉ. अशोक वाजपेयी यूपी में बड़े ब्राह्मण चेहरों में गिने जाते हैं। वह सात बार हरदोई जिले की पिहानी विधानसभा क्षेत्र से विधायकरह चुके हैं। खास बात यह कि वह मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी और सपा के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं और वह संघ के भी स्वयंसेवक रह चुके हैं।
यूपी में योगी आदित्यनाथ को सीएम बनाए जाने के बाद ब्राह्मण में एक तरह से ठाकुरों को आगे बढ़ाने जाने का संदेश गया था बीजेपी तब से कई ब्राह्मण नेताओं को बड़े पद पर बैठा चुकी है। अशोक वाजपेयी को सपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव में राजनाथ सिंह के खिलाफ लखनऊ से पहले प्रत्याशी बनाया था। उसके बाद अभिषेक मिश्रा को चुनाव लड़ाया।
4- डॉ. अनिल जैन : जैन पुराने संघ के कार्यकर्ता हैं और इस समय भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव हैं। उनके पास छत्तीसगढ़ और हरियाणा का प्रभार भी है।
वह मूल रूप से फिरोजाबाद के रहने वाले हैं। उनके पास संगठन में काम करने का अनुभव है। भाजपा का यह कदम इसे संगठन में और विस्तार के तौर पर देखा जा रहा है।
5- विजय पाल तोमर: विजय पाल तोमर की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी गन्ना किसानों के लिए संघर्ष कर चुकी है। वह जनता दल से विधायक भी रह चुके हैं। तोमर भाजपा के किसान मोर्चा के अध्यक्ष भी हैं। उनको टिकट को देकर एक तरह से भाजपा ने किसानों को संदेश देने की कोशिश है। विजय पाल तोमर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान नेता के तौर पर जाने जाते हैं।
6- हरनाथ सिंह यादव: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रचारक रहे हरनाथ सिंह यादव 1990 में विधानसभा का चुनाव स्नातक कोटे से चुनाव लड़े थे लेकिन हार गए। इसके बाद 1996 में निर्दलीय जीते फिर सपा चले गए। इसके बाद 2002 में सपा के टिकट पर स्नातक कोटे की सीट जीती लेकिन अब फिर भाजपा में लौट आए हैं। भाजपा को यूपी में यादव समुदाय से किसी चेहरे की जरूरत है जो हरनाथ सिंह यादव के तौर पर अब देखी जा सकती है।
7- कांता कर्दम : कांता कर्दम जाटव समुदाय से आती हैं। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा को गैर जाटव समुदाय से काफी वोट मिला था लेकिन जाटव समुदाय का वोट नहीं मिला था। कांता कर्दम अभी बीजेपी की प्रदेश उपाध्यक्ष हैं। पार्टी उन्हें मेरठ नगर निगम के चुनाव में महापौर का भी चुनाव लड़ा चुकी है लेकिन उन्हें हार मिली थी।
8- सकलदीप राजभर : सकलदीप राजभर संघ के पुराने कार्यकर्ता हैं। इससे पहले वह प्रधानी का भी चुनाव लड़ चुके हैं। 2002 में वह बीजेपी के टिकट से विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं लेकिन हार गए थे। अब सकलदीप राजभर को पार्टी ने टिकट देकर ओमप्रकाश राजभर को संदेश दिया है।
राज्यसभा चुनाव बेहद दिलचस्प
राज्यसभा का चुनाव बेहद दिलचस्प हो गया है। इसी चुनाव के आधार पर लोकसभा चुनाव की रणनीति पर काम हो रहा है। राज्यसभा चुनाव विपक्षी दलों को धीरे-धीरे नजदीक ला रहा है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी बसपा को समर्थन दे रही है तो कांग्रेस ने भी साथ देने का वादा किया है। रालोद भी एक विधायक के साथ बसपा को अपना समर्थन दे रही है। उधर बसपा ने मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस का साथ देने का मन बनाया है।